जहन में इस कदर भर गया है दर्द,
कि रोने पर भी अब सुकून नहीं मिलता...
उम्मीदें इस तरह उधड़ गई हैं कि,
वक़्त और तसल्ली का दर्जी भी नहीं सिलता...-
आँखों नें तो संभाल लिया खुदको मगर,
तेरी यादों नें दिन और रात का लिहाज नहीं किया..-
आंखों में नींद थी नींदों में ख्वाब था
ख्वाब में अधूरी यादें थी
यादों में दर्द बेहिसाब था
अधूरी थी ख्वाहिशें अधूरे अरमान थे
साथ बिताए लम्हों को रोकने के कोशिशें तमाम थे
मन में कुछ अनकही बातों का भवण्डर था
जो अश्कों में बह ना सके उन आंसुओं का समंदर था
हैं आज भी हम वही खड़े क्यों नज़र उनको आए ना
दिन बीते वक्त बीता क्यों खबर उनकी आए ना
दिल आज भी पूछता है मुझसे,
चलो साथ तो छोड़ दोगे और नाते भी तोड़ दोगे
क्या यादों से पीछा छुड़ा पाओगे
क्या उसकी जगह किसी और को दे पाओगे
नहीं है जवाब किसी भी बात का,
था तो सिर्फ सवाल था
वजह ना दी दूर जाने की मन में यही मलाल था
हवा विपरीत होती तो रुख मोड देते
होती खता हमारी तो हस्ते हस्ते छोड़ देते
लेकिन दिल में था भी तो सिर्फ प्यार था
मन के एक कोने में उसके आने का इंतेज़ार था
आंखों में नींद थी नींदों में ख्वाब था
ख्वाब में अधूरी यादें थी
यादों में दर्द बेहिसाब था-
रै मै मुनाफा भी लिखूं नुकसान भी लिखूं...
मोहब्बत के शहर नै सुनसान भी लिखूं
तन्ने ही दिया है यो जज़्बात लिखण का हुनर..
क्यूकर पूरी होवै शायरी जै तेरा नाम ना लिखूं?-
“ दिल टूटने का सबब ऐसा होगा ,
. सोचा न था ,
टूट भी जाएगा और आवाज़ न होंगी ”-
तेरी यादों के बोझ तले दब गए हैं कुछ ऐसे,
हर सांस भी अब इजाज़त मांगती हो जैसे।-
अपने गम को होंठों की हँसी के त्तले छुपाले
ए दोस्त
इस मतलबी दुनियां में आँसुओं की कोइ कीमत नहीं होतीं-
उलझनों में उलझना हमें भी आता है,
जवाब देना हमें भी आता है,
रुसवा होना हमें भी आता है,
चोट पहुंचना हमें भी आता है,
बस आप जैसे नहीं हैं हम,
वरना आप सी मोहब्बत करना तो हमें भी आता है।-
पलट कर जवाब देना बेशक गलत बात है,
लेकिन सुनते रहो तो लोग बोलने की हदें भूल जाते है-