Shivani Kadbhane   (Shivani...)
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Instagram I'd -@poem.by.shivani
Joined 30 June 2025


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17 HOURS AGO

तेरी यादों के बोझ तले दब गए हैं कुछ ऐसे,
हर सांस भी अब इजाज़त मांगती हो जैसे।

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9 JUL AT 20:27

जीवन है एक खेल,
जो समझा इसे, वही ठीक पाया।
तो मत घबरा इस खेल से,
बस खेल ईमानदारी से तू,
यही बनाता है तुझको अजर-अमर।

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9 JUL AT 18:39

चल पड़े कुछ लोग साथ, दिल में लेकर छोटा सा विश्वास।
रास्ते थे सीधे-टेढ़े, कहीं धूप थी, कहीं छांव।
कुछ साथ आए, कुछ छूट गए, पर हम चलते रहे हर दफा।
मंज़िल क्या है, कोई न जाने, पर चलना है, बस ये ठाने।
हर कदम पर नई कहानी, हर चेहरा बना अपनी निशानी।
कभी हंसे, कभी रोए हम, फिर भी रुके नहीं उस ग़म।
काफ़िला है ये ज़िंदगी का, जो साथ दे, वही सच्चा।
चलते रहो, बस ये याद रहे, हर सफ़र में प्यार ही साथ रहे।

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9 JUL AT 15:02

इन आँखों से झूठे इश्क़ का पर्दा हटा दो।
अगर इश्क़ था सिर्फ़ एक खेल तुम्हारे लिए,
तो मेरी वफ़ा को भी हँसी का किस्सा बना दो।

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7 JUL AT 21:40

"जो मोहब्बत करते हैं,
वो हदें कहाँ देखते हैं"

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6 JUL AT 20:17

अच्छा होता, अगर तुम...
मेरी आँखों की नमी में छिपे सवाल पढ़ लेते।

अच्छा होता, अगर तुम...
मेरी ख़ामोशियों में अपने जवाब ढूंढ़ लेते।

अच्छा होता, अगर तुम पास होते,
तो शायद मैं टूटकर भी मुस्कुरा पाती।

इन अधूरी ख्वाहिशों को कोई मक़सद मिल जाता,
अच्छा होता, अगर तुम मेरे पास होते।

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5 JUL AT 14:31

गिरते-पड़ते चलना सीख लिया,
ठोकरों ने जीना सिखा दिया।
अब तो हार भी जीवन सी लगती है।

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5 JUL AT 13:46

"शेतकऱ्याची व्यथा"

होती कोरी माझ्या, शिक्षणाची हो पाटी,
म्हणुनीया आली हाती शेतातली माती...

आज रुसलिया माझ्यावरी, माझी धरणी माय,
कर्जासाठी मी धरितो आता सावकाराचे पाय...

रात्रंदिस कष्ट करूनिया पिका मिळेना हो भाव,
कोणते ह्यो नवे नियती मांडतेया डाव...

पण आज बघा सारं विपरितचं हो घडलं,
शेत बघा माझं ओसाड पडलं...

पोटच्या पोरासारखं मी पिकाला जपलं,
उभ्या जगाचा मी पोशिंदा आज उपाशीच झोपलं...

आज करपून गेलिया , माझ्या पिकाची हो बाग,
कशी विझलं हो आता माझ्या उराची या आग....

आज सांगतूया मी माझ्या दुःखाची या कथा,
कुणा कळलं का हो आता माझ्या दुःखाची या व्यथा...?


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5 JUL AT 11:15

तेरे आने से खुद को सँवारने लगी हूँ,
तेरी आँखों में खुद को निहारने लगी हूँ।
तेरे ख्यालों में यूँ खोने लगी हूँ,
जैसे तेरे बिना भी तुझसे जुड़ने लगी हूँ।


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3 JUL AT 12:30

तेरे कारण ही तो,
आंखों की नींद रूठ गई मुझसे,
ख़्वाबों की वो दुनिया भी अब छूट गई मुझसे।

तेरे कारण ही तो,
तेरी बेवफ़ाई की तन्हाइयों में डूब गया हूँ,
उन गहराइयों से अब हर रोज़ बाहर निकलने की कोशिश करता हूँ।

तेरे कारण ही तो,
ख़ुद को फिर से ढूंढने लगा हूँ,
अब टूटकर भी थोड़ा मुस्कुराने लगा हूँ।

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