QUOTES ON #365DAYS365QUOTES

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Trending | Latest
7 MAY 2019 AT 23:52

धरती की प्रत्यंचा पर
आकाश ने भृकुटी तानी
थी इतनी सी प्रलय की कहानी

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6 MAY 2019 AT 13:16

बांध बनाने वाली स्त्री पुल बनाने वाले पुरुष के साथ प्रेम में कैसे हो सकती है.

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15 APR 2019 AT 9:42

मृदुता मुझसे मेरी
न छीन मानव
मैं मृदा ही रहना चाहती हूं
संदर्भों में पिसती रहूं
गलती रहूं
मिटती रहूं
आकृतियों में ढ़लती रहूं
स्वरुप की विशिष्टता ही
मेरी पहचान।
चाक पर चढ़ना
विधान है नियति का
किन्तु तपकर
मैं कभी पाषाण होना
नहीं चाहती
पुनर्निर्माण की
संभावनाएं शेष रख
मैं मृदा ही रहूं !!

प्रीति
३६५ /११९

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4 JUN 2019 AT 20:58

घणा पंचा सूँ न्याय बिगड़े ,घणी बातां सूं साथ ,
घणुं धन बैर करावे ,घर की दाई गाँव भण्डाव l

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27 MAR 2020 AT 3:52

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6 MAR 2019 AT 2:23

सारे रास्ते खोल दिए थे मैंने
कि नींद जिधर से चाहे आती
मगर कम्बख़त ख़्वाबों पर तो
दस्तख़त आपका हुआ ही नहीं था

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20 APR 2019 AT 9:19

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9 MAR 2019 AT 1:45

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23 MAR 2019 AT 9:10

पहचान उसके जैसी होती जा रही
या वो भी मानवीय संवेदनाओं को जीने लगा है!
सामने खड़ा दरख्त
सारी विषमताओं को त्याग
फिर से हरा होने लगा है.....!!

प्रीति
३६५ :84


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31 JAN 2019 AT 17:16

जलती है,सूखती है,मरती है,कुचली जाती है
जिजीविषा हरी दूब सी है फिर उग आती है

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