कुछ लोगो ने दौलत कमाई है ईमान बेच कर,
महोब्बत रुठ गयी है हम से अरमान बेच कर।
वक्त बेवक्त जो चेहरा परेशान रहता है,
खुश होता है वो ठेले वाला सामान बेच कर।
मजबुरी क्या होती है पूछिएगा उस बाप से,
बेटी का ब्याह किया हो जिसने मकान बेच कर।
करते हैं कुछ लोग अपने पेशे का गलत इस्तेमाल,
डाक्टर कमा रहे है मरीजों की जान बेच कर।
सब कुछ होती है एक औरत के लिए आबरू अपनी,
एक माँ ने बच्चे को बचाया है अपनी आन बेच कर।
सियासतदान बेच रहे हैं मुल्क का कोना कोना,
बस चले तो खा जाये ऐ शमशान बेच कर।
जमीर मारकर करते हैं अपने वतन से गद्दारी,
कैसे जी लेते हैं लोग पगड़ी की शान बेच कर.!!
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