वो जो लेता है मेरा नाम, तो अब ये नाम अच्छा लगता है। करती रहूँ बस हर वक़्त बाते उससे, ना अब कोई काम अच्छा लगता है। जो देखती हूँ सबकुछ नज़रों से उसकी, ख़ुदा कसम अब ये सारा जहान अच्छा लगता है।
हाँ, मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है, क्योंकि सबकुछ ठीक तो है,सबकुछ पहले जैसा ही तो है। हाँ बस अब हर रोज़ हम मिलते नहीं, मगर बाकी सबकुछ अच्छा ही तो है। तो क्या हुआ अगर अब बातें कम हो गई हैं हमारी, प्यार तो तुम मुझसे उतना ही करते हो ना, प्यार मेरा भी कम नहीं हुआ है, बस अब बता नहीं पाती हूँ न मैं, क्योंकि वक्त नहीं है सुनने का तुम्हारे पास। लेकिन हाँ सच में, मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है।
सुना था, वक़्त गुज़रा करता है बड़ी तेज़ी से, मगर तुम तो वक़्त से भी जल्दी बदल गए। हो गए मसरूफ तुम अपनी आज की दुनिया में, मेरे साथ देखे ख्वाबों से बहुत दूर निकल गए।
जो होता है एक परिंदे का हाल तूफान के बाद, जब बिखर जाता है उसका आशियाना, जिसे बनाता है वो तिनका तिनका जोड़ के, कुछ वैसा ही होगा हाल मेरा भी तुमसे बिछड़ कर। एक माँ की नज़रे जैसे हर वक़्त तलाशा करती हैं बच्चे को अपने, जैसे तड़पती है वो उसके दूर जाते ही, कुछ वैसे ही तड़पा करूंगी मै भी तुमसे बिछड़ कर। जब खेतो मे होती है पानी की ज़रूरत, और हर रोज़ बादल बस गरज के निकल जाते हैं, जैसे उस वक़्त एक किसान को होता है बारिश का इंतज़ार, वैसे ही मै भी देखूंगी राह तुम्हारी तुमसे बिछड़ कर।
आज तुम मेरे पास ना सही, तुम्हारे दिए हुए गुलाबों की खुशबु हमारे प्यार को आज भी ज़िंदा रखे है! हां, वही जो मैंने घरवालों से छिपा कर एक डायरी में रख दिए थे, वो मुरझा ज़रूर गए हैं मगर उनकी खुश्बू आज भी ताज़ी सी है। पहले गुलाब की तो मानो बात ही कुछ अलग है, जैसे पहले प्यार की महक कभी कम नहीं होती, उसका भी जैसे वही हाल हो। चाहे कितने भी पन्ने पलट लो, पहले पन्ने पे रखा गुलाब आखिरी पन्ने तक अपनी खुश्बू का एहसास कराता है, और तुम्हारे करीब होने का भी.....