QUOTES ON #हुस्न_ऐ_दीदार

#हुस्न_ऐ_दीदार quotes

Trending | Latest
8 OCT 2019 AT 21:17

इश्क़ में बेकरारी का आलम ना पूछिए
शिकवे गिले बाद में कर लीजिएगा
पहले गले लगा लीजिए,,यूं वक़्त ज़ाया ना कीजिए

तेरे चांद से चेहरे का दीदार करने के लिए बेताब रहते है
जब भी जी चाहे तेरे दीदार को ऐ सनम
रुख से पर्दा हटा लिया करिए,,यूं शरमाया ना कीजिए

जाम पिला नहीं सकते अपनी नशीली आंखों का तो ना सही
पर यू नज़रे मिला कर हमसे ,,फिर नज़रे चुराया ना कीजिए

दिखा कर हुस्न ताब हमें मदहोश कर दिया,अरे जब होश में लाना नहीं तो
फिर हुस्न ऐ जलवे दिखा कर हमें ,बहकाया ना कीजिए

-


20 FEB 2020 AT 8:19

आना कभी हमारी यादों के शहर में
नूर से भरा हुस्न-ए-दिदार करायेंगे
आना कभी शाहजहाँ बन के हमारी गलियों में
मुमताज़ बन के आपसे ताजमहल बनवाएंगे

-


23 JUN 2019 AT 0:09

देख हुस्न-ऐ-नज़ाकत को,
कोई क्यों ना तरसे कुर्बत को

-


18 NOV 2018 AT 18:48

अपनी बेरुख़ी से कभी ना मुझसे पर्दा करना,
जब भी याद करूँ तुम्हे,अपना चेहरा दिखा कर
हुस्न ए दीदार से सजदा करना ।।

-


28 AUG 2021 AT 23:29

“कैसे”
ख़ुदा ने तुम्हें मुक्कमल फुर्सत से तुम्हें से बनाया हैं ,
जैसे तुम्हें ही बयान करने को ये सितारों की…..

महफ़िल सजाई हैं ,इक तेरे आगे चाँद भी
मद्धम सा लगता हैं ,जो कोई देख ले तुम्हें…..

ख़्वाबों में भी ये चेहरा रहता हैं ,
वो बादल भी बूँद बन तरसे ,जो तुम पर ना बरसे ….

बस इक तुम्हें ही देख लगता हैं ,
आसमाँ में ही नहीं खुदा ज़मीन पे भी रहता हैं ....

जिस राह पे रखे तू कदम , वो औरों के लिये
मंज़िल हो जाए तुम कोई इश्क़ हो जैसे….

तुमसे मोहब्बत को भी मोहब्बत हो जाए…
ऐसा नूर और कहाँ किसमें हैं…..

तेरी साँसो में जैसे ख़्वाब पीघले है..
जो पा ले तुमको वो खुद खुदा हो जाए ...

-


28 FEB 2021 AT 18:45

नक़ाब क्या छुपाएगा शबाब-ए-हुस्न को,
निगाह-ए-इश्क तो पत्थर भी चीर देती है।

-


18 FEB 2021 AT 23:24

तेरे हुस्न 🧖‍♀
के चरचे पूरे
गली-मुहले में
फैले हैं तुझे क्या
पता तेरे कितने
आशिक़ बन बैठे
हैं !!!

-


18 NOV 2018 AT 22:21

हमारे दीदार के लिए इतना न तरसिए
इक पल के लिए आँखे बंद कीजिए
नज़र के सामने, दिल के करीब पाएँगे
अब तो आप अकेले में भी मुस्कुराएँगे......

-


22 MAR 2020 AT 8:57

ये बड़े शहरों में लोगों को अपने हुस्न-ऐ-दीदार पर घमंड हैं...
पर मुझे आज भी तेरे सिर पर चुनरी रख के चलना पसंद हैं....

-



हुस्न-ऐ-दिदार की अब कोई तलब नही।


गरुर-ऐ-इशक मेरा टूट चुका है ।

-