अपनों पर शक का कोई इलाज नहीं,
और गैरों पर अपने हक़ का कोई हिसाब नहीं।-
एक गुनाह मैंने भी किया है,
तुझे अपने पर खुद से ज्यादा हक देकर।।-
अगर रात के अंधेरे पर तुम्हे यकीन है
तो दिन के उजाले पर क्यों शक है
और अगर तुम सिर्फ उसकी हो
तो उस पर भी सिर्फ तुम्हारा हक है
अगर उसकी बातों में सच्चाई है
तो लवों पे झूठ की ये कैसी महक है
और उसकी वेबफाई से कुछ तो सीख ले तू
ये तेरे लिए अच्छा सबक है
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मैं सजदों में मांगता रहा भीख
दुआओं के नाम पर
मेरे ख़ालिक़ ने नवाज़ा मगर
मेरे हक़ मे जो बेहतर था-
"तमाम शिकायतें इस
दिल की भी हैं तुझसे....
पर किस हक़ से
नाराज़गी जताऊं मैं....
बस यही सोच के हरबार
ख़ामोश रह जाती हूं!"
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हम करवट बदलते रहे
और यह चाँद सूरज हो गया,
हम मन समझाते रहे
और यह तकिया गीला हो गया,
हम जुबां को समझाते रहे
फिर भी यह दर्द बयान हो गया,
कितना कुछ छीन लिया तुमने मुझसे
जो मेरा है, उसपे भी मेरा हक न रहा।
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कि हक़ है प्यार में रूठने और मनाने का,
कि हक़ है प्यार में रूठने और मनाने का,
अगर प्यार ही ना हो उसे ,
तो बेकार है उसके पीछे जाने का |-
"अच्छा सुनो!!"
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"छोड़कर अपना सबकुछ,आपके पास आऊँगी,
आप मुझे अपनेपन का,अहसास दिलाओगे न!!"
"गर मैं रूठ जाऊँ आपसे,तो आप मुझे मनाओगे न,
पूरे हक से आकर मुझे,प्यार से गले लगाओगे न!!"
"गलती तो यार सबसे होती है,अगर कभी,
मुझसे हो गई तो, आराम से समझाओगे न!!"
"आपकी रज़ा में ही मेरी रज़ा है, पर क्या,
कभी-कभी मेरी बातों को भी,अपनाओगे न!!"
-Sapna Rajput
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