स्वच्छता की ओर
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"यह गलियाँ, यह मोहल्ले, यह क्षेत्र साफ करवाएंगे,
इस देश को आगे ले जायेंगे।
शुरुआत हमारे घर से है, दिल से है एवं जहाँ हम काम करते हैं उस मिल से है।
यमुनानगर से शुरुआत है, हरियाणा बाद की बात है।
जब माननीय प्रधानमंत्री हमारे साथ है,
तो फिक्र की क्या बात है।
स्वच्छ भारत का पथ आसान ना होगा,
स्वच्छता के बिना मेरा देश महान ना होगा।
स्वच्छता केवल गलियों और घरों में नहीं,
सोच में भी चाहिए।
क्योंकि बिना अच्छी सोच इतना बड़ा काम ना होगा।
गांधी जी ने पथ दिखाया है,
माननीय प्रधानमंत्री जी ने एक कदम स्वच्छता की ओर बढ़ाया है।
यदि हम भी एक कदम स्वच्छता की ओर बढ़ाएंगे,
तब ही इस देश को आगे ले जा पाएंगे।"
-रजत नागपाल-
पढ़ाया अमन का पाठ जिन्होंने..
दिया स्वच्छता का संदेश जिन्होंने..
दिखाया अहिंसा का पथ जिन्होंने..
महान है आत्मा जिनकी..
जयंती है आज उस महापुरुष की..
जयंती है आज उस महात्मा की..
आओ मना ले जयंती हम भी..
कर साकार बापू के सपने..
बढ़ाये एक कदम स्वच्छता की ओर..
बढ़ाये एक कदम स्वच्छ भारत की ओर..-
हाथ धोना हाथ जोड़ना,
हमारी सभ्यता थी हीं ऐसी।
हां कुछ दिनों से भारत के,
लोग बन रहे हैं विदेशी।।
ना छींको कीसी के पास,
मुख पर रखो मास्क।।
सब मील करोना को लें जान,
हम रहें स्वच्छ और सावधान।।
फिर सेअपनाओ वही नियम,
कुछ भी छु कर हाथ धो डालना।
होगी करोना वायरस की छुट्टी,
उसकी होगी एसी की तैसी।।
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"स्वच्छ भारत".. नहीं मात्र एक सपना है..
हम भारतीय हैं और ये एक नैतिक कर्तव्य अपना है..
#स्वच्छभारत #सपना_बापू_का
#स्वच्छता_ही_सेवा_अभियान
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कुछ बोलो नही सिर्फ देखो।
कुछ देखो नही सिर्फ नजरंदाज करो।
कुछ बोलोगे नही, लोग सुनेंगे नही।
नजरंदाज करते करते आ गई ,
आज ये गंदगी में जीने की कगार।
रह गई जमीनों पर ये ,कचरों की भरमार।
बचपने से निकल यौवन मे आए।
फिर क्यों दिमाग मे सफाई की बात ना आए।
मिला जो ज्ञान स्वच्छता का ,
उसको अपनाने की बारी आई है।
बढ़ा कदम स्वच्छता की ओर बुद्धिमता बतलानी हैं।
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कचरेवाला,सफाई वाला,झाडूवाला
च्या पलीकडे माणूस म्हणून त्यांच्याकडे बघा
दुर्लक्षित झालेल्या या घटकाचा
आता तरी त्यांचा विचार करा
कचऱ्याच्या या रोजच्या आयुष्यात
व्यवस्थेने कवडीमोल करून ठेवलयं
धर्मनिरपेक्ष असलेल्या या देशात
आजही आम्हाला जातीत रोवून ठेवलय
गटार,नाले,कि असो रस्ता सफाई
प्रत्येक काम धाडसाने हा करतो
आणि स्वच्छतेच्या नावाखाली
मात्र दुसराच कोणी येऊन मोठेपणा मिरवतो
ऐ..इकडचा कचरा नीट काढ म्हणून हिणवणारे
कधी घरचा केरही नीट काढत नाहीत
रस्त्यावर कचरा,थुंक्या टाकूण
महासत्ता होण्याचे स्वप्न पाहणारे काही कमी नाहीत
जीर्ण झालयं आमचं शरीर
थांबवा हो आता आमची पिळवणूक
न्याच्या प्रतिक्षेत आम्ही
आता दया आम्हा समतेची वागणूक
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