Pushkal Agrawal   (फ़लसफ़ा (पुष्कल))
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Joined 30 June 2018


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Joined 30 June 2018
14 FEB AT 17:05

कहते हैं कि कोई एक ही शख्स है जो तुम्हारे दिल के अजीज और करीब होता है,
पर वही शख्स जिंदगी का अक्स बन जाए, कहां ऐसा सबका नसीब होता है,
अब यूं ही तो नहीं चल रहे सालों से चाहतों के सिलसिले हैं
मुझे लगता है कि हम गुजरे कई वक्त में कई दफा मिले हैं
क्योंकि कोई यूं ही तो ऐसे जिंदगी जीने की वजह नहीं हो जाता
हमारे सभी ऐब-ओ-हुनर से वाकिफ इस कदर नहीं हो जाता
कि हमारी यादों की शेल्फ पर लम्हों की तरह सजने लगे
रोज़ मर्रा की बातों में हमें हमसे ज्यादा समझने लगे
इसीलिए तो इतने बेकाबू से रहते हैं तुम्हारे इस्तकबाल की खातिर,
तुम्हारे और करीब हुए हैं या नहीं बस इस एक सवाल की खातिर
एक उम्र गुजर जाती है किसी से मोहब्बत इस कदर होने के लिए,
बेहद बेशुमार शुक्रिया, मेरा दोस्त हमराही रहगुज़र..
मेरा हमसफर होने के लिए।

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30 OCT 2024 AT 19:54

Totally alone in these dark nights,
Hearing your voice but it's out of sight.
Knowing you're gone, it's hard to bear,
In every shadow, I feel your stare.
Listening closely but silence remains,
Just wanting to hear you again, it drives me insane.
Coming to your place, but it feels so cold,
Every corner whispers the stories untold!
Everything without you feels heavy and wrong,
A burden I carry, it's where I belong.
I never explained that I love you so true,
But now in your absence, I can't help but miss you!

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26 FEB 2024 AT 17:53

उनके हाथ को थाम मैं आंख मीछे मीछे चलता था,

बहुत बेफिक्र बेपरवाह होता था,
जब मैं पापा के पीछे पीछे चलता था!

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26 FEB 2024 AT 17:39

कभी देखा है,
किसी चेहरे को दास्ताँ बयां करते हुये,
कुछ ना हो कर भी सब होने का गुमां करते हुये

आँखें जो कई समुंदर पी चुकी हैं,
ख्वाइशें जो अपनी ज़िंदगियाँ जी चुकी हैं,

सर, जिसे इंतजार हो फिर से उसी आशीष का,
जुबां जिसके हर शब्द में बस नाम हो उस ईश का,

कान, जो सुनना चाहते हों फिर किसी आवाज़ को,
कल जो बीत कर चिड़ा रहा हो आज को,

मैंने आज फिर हर वो जख्म गहरा देख लिया
गैर इरादतन जब आईने में अपना चेहरा देख लिया!

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10 JAN 2023 AT 22:39

सारे सपने
सारी तरक्कियाँ
ऐशों आराम
नाम काम
और बाक़ी सभी इंतजाम..
सब पीछे छूटने लगते हैं,

बाप के बीमार पड़ने पर अक्सर लोग टूटने लगते हैं!

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30 DEC 2022 AT 0:08

ये ख्वाब टूटें.. मैं जागूँ,
फिर तो कुछ कहूँ!

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14 DEC 2022 AT 3:09

निभाना था प्यार,
निभाने लगे किरदार!

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10 APR 2022 AT 12:47

सिगरेट तो बस छुआ करता हूँ..

मैं ज़िन्दगी को धुआँ करता हूँ!

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1 JAN 2022 AT 0:20

इक्कीस में न सही, बाईस में ही सही..
ज़िन्दगी ज़िन्दगी बने रहे, ख्वाइश में ही सही!😅

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6 NOV 2021 AT 15:51

सवालों का..
बवालों का..
किस्से कमालों का..
अतरंगी ख्यालों का..
अंधेरों का उजालों का..

मेरे तुम्हारे बीच जितनी भी अनसुलझी अनभिज्ञता वाली बातें हैं, उन सबका..
...जवाब, आज भी 'इश्क़' है!

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