तुम्हारे जाने के बाद घर सूना हो गया है
जैसे दिल बेजान हो गया है
घर की खुशियाँ तुमसे ही थी
घर की रौनक तुमसे ही थी
मेरी ज़िंदगी का सूरज तुमसे ही
ढलता है और तुमसे ही उगता है
जाने कहाँ चले गए तुम
यहाँ सब सूना हो गया है
बहुत महफूज़ महसूस करती हूं
तुम्हारे बाहों में होने से
मगर आज ये बाँहें भी तरस रही
तुम्हारे ना होने से
मेरे लिए दिल ही नही बल्कि ये
जग भी सूना हो गया है।।
तूम्हारे जाने के बाद ये घर
भी सूना हो गया है।।।-
सफ़ेद चाँदनी में नहाया रात के फ़लक का हर कोना है,
सैंकड़ों तारे कहें आदाब पर तुझ बिन सब सूना सूना है-
जीवन में सब कुछ है,
तब भी कुछ अधूरा सा लगता है।
करने को तो अब भी बहुत कुछ है,
फिर भी वक़्त सूना सा लगता है।-
सूना जहां नहीं मेरा,
फिर भी किसी चीज़ की कमी हैं,
दिल मानता तो नही अब भी,
मगर शायद वो तेरी ही कमी हैं ||-
घर गुलजार हो गया
शहर सूना हो गया
गली गली मे कैद हर हस्ती हो गई
ना कोई अमीर ना कोई गरीब
आज फिर से जिंदगी महंगी
और दौलत सस्ती हो गई....-
बागों में बहार नहीं, घोंसले सूने पड़े ।
पंख मिलते ही पखेरू इधर-उधर को उड़ चले ।।
पुराना पेड़ निहारता रहता है, सूने घोंसले को ।
और शाम तक इंतजार करता है, परिंदों के लौट आने की ।।
सूखता जा रहा है पेड़, आशा और निराशा के बीच ।
शायद ये चमन अब उसकी जिन्दगी में, न खिले ।।-
बेवजह अब भी हर ज़ख्म हरा रहता है
तेरे बिन सूना ये मकान पड़ा रहता है
कभी महफ़िलों का शहर हुआ करता था जो
सुना है आज वो शहर महखानों से सजा रहता है
कब तक सूखी रखें ये ये पलकें तेरे बगैर
आंखों का समंदर है कि भरा रहता है
जो कभी शीशे की गुजारिश करता था घर में भी
वो दिया आज हवाओं में भी जला रहता है
मत पूछो क्यूं बेताब हूं उसके शहर लौटने के लिए
सुना है वो नादान चौखट पर खड़ा रहता है
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