होता अगर नूर इन आँखों में
सूरमे का फिर कोई काम ना होता..
होता अगर इश्क हर शख़्स का इमान
तो बदनाम ये बेईमान इश्क ना होता..
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शहर के सारे कत्लखानों पर ताला लग गया
जो सूरमे वाली आँखों का चिलमन इश्क़ में सरक गया-
काजल को हिन्दू सुरमे को मुसलमान बना डाला
हिन्दुस्तान को तुमने भारत-पाकिस्तान बना डाला-
रूठी सी पलकों को सुरमे ने यूँ छेड़ दिया,
कि नज़रों ने भी हँस के अपना रंग बिखेर दिया।-
इन आंखों में सुरमा मैं यूं ही नहीं सजाएं रखतीं हूं।
मेरी निगाहों में तुम्हारा चेहरा साफ-साफ छलकने लगा है।
इसलिए तो तुम्हें दुनियां की बुरी नजरों से छुपाए रखतीं हूं,
तभी तो इन पलकों तले काला टीका लगाए रखतीं हूं।-
महफ़िल में उसे यूंँ महफ़ूज़ रखा हमने,
क़ातिल अदाओं को अपनी क़ैद रखा हमने।
छुपा के रख लिया दिलकश निगाहों को,
सुरमे को भी आज समेट लिया हमने।
हिजाब के आगोश में बांध कर हया ओ शर्म,
इत्र की महक से उसे मदहोश रखा हमने।।
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आज मेरे चाँद पर भी एक हसीं दाग लगा है
उसकी नज़रों पर आज पहरा सुरमे का सजा है-
तेरी आँखों के सुरमे से चाँद को सजाना है
तेरी बिंदिया की चमक से एक तारा चमकाना है
तेरे न होने पर भी तुझे महसूस करने के लिए
तेरे जिस्म की खुशबू से एक फूल महकाना है
बस एक छोटी सी ख्वाईश बतानी है तुझे
मुझे एक बार फिर से तेरा मेहबूब कहलाना है-
आंखें सुरमे के लिए है तेरी,
फ़िर आंसू क्यों
ले किया इज़हार ए इश्क़
"नरेंद्र" अब ये उदासी क्यों-