Ujjwalla Kumari   (Ujjwalla_kumari)
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Birthday on 4th March


https://youtube.com/channel/UC6YVSfXpWtEuSUg7eV8Scjw
Joined 16 February 2021


Birthday on 4th March


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Joined 16 February 2021
27 APR AT 3:15

जबसे रखा है तुम्हारा नाम इश्क़,
बेचैन बहुत करते हो ।(2)

आंख लगने देते नहीं,
दिल में शोर बहुत करते हो

बेकरारी देकर मुझे,
चैन से सोने को कहते हो।

ख्वाबों में भी घर लिया है
और इतमीनान होने को कहते हो।

कभी सीने से लगाओ तो...
सुनाएं धड़कने तुम्हें;(2)
धक-धक की आहट में खुद ही हो,
फिर भी सवाल बहुत करते हो ।

तुम्हें पता है, मेरी मोहब्बत का
फिर भी इस बात को छेड़ते बहुत हो।

पता है नाराज नहीं हो सकती,
इसलिए तुम बिगड़ते बहुत हो ।

तुम्हें बेइंतहा चाहती हूं,
इसपर तुम इतराते बहुत हो।

जबसे रखा है तुम्हारा नाम इश्क़,
बेचैन करते बहुत हो ।


-


10 MAR AT 0:19

सफेद शर्ट में उसे देख,
सरी नाराजगी भूल गई

ख़फ़ा की सारी वजह भूल गई,
देखा उसकी आंखों में...
फिर ये जहां भूल गई

हमें तो रूठना तक ना आया उनसे,
लेकर आई थी शिकायतें पर....
ताकतें ही उन्हें सारी बातें भूल गई

सोचा था तकरार करने को....
जब देखा सफेद शर्ट में तो ,
सरी नाराजगी भूल गई

भूल गई नोंक-झोंक की बातें सब,
डुबी रहीं इस तरह की...
दिल की बातें कहना भूल गई

वो पुछते हैं... तुम तो गुस्सा थी न???
कैसे कहें उनसे की...
पिघल गई इतना की ;
हताश की बातें भूल गई

अब कौन??बताएं उन्हें...
सफेद शर्ट में देख... मैं रुठना भूल गई
देखा उनको तो फिर नाराज़गी जताना भूल गई


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6 MAR AT 22:07

वो चंद लम्हें जो गुजारें है तेरे साथ...
न जाने कितने बरस मेरे काम आएंगे ।

एक एक पल संजोकर रखतीं हूं ऐसे,
जैसे इम्तिहान में मेरे यहीं काम आएंगे ।

सोचतीं हूं छोड़ दूं लिखना तुम्हें... पर
मेरी रागिनी में यहीं तो काम आएंगे ।

बड़ा नायाब होता जा रहा दर्द क़रारा... जैसे 
मेरी कवियत्री बनने में यहीं नाम कमाएंगे ।

चाहतीं हूं तुम मुझे रोज़ याद आया करो,
भला मेरे ये आंसू कब काम आएंगे।

वो चंद लम्हें जो गुजारें है तेरे साथ...
न जाने कितने बरस मेरे काम आएंगे ।

वज़ह पे वज़ह देते जा रहें हैं,
सुरों के पिरोने में बड़ा काम आएंगे ।





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19 FEB AT 1:07

दीप्ति का ही अनुवाद हो

मेरी इनायत में आबाद...
इश्क़ का अज़ीज़ स्वाद हो

निशा खुद शर्मा जाएं तुम्हें देख,
ना जाने कितनो की मुराद हो

करिश्मा का प्रसाद हो...या,
रूक्मिणी का छायावाद हो

तुम मेरा चांद हो...
चारू का दुसरा अनुवाद हो

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28 JAN AT 14:21

गले लगा कर मेरे रूह को विराम दो,

तरसी हूं तेरे प्यार को,
आंखों में आंखें डाल मोहब्बत को अंजाम दो

बाहों में लेकर...
बंदगी तमाम दो

रो-रोकर थक चूंकि है आंखें मेरी,
दो घूंट लबों का ज़ाम दो

सुर्ख लबों पर ठहर के...
रूमानियत का पैगाम दो

भरकर अपनी बाहों में,
थोड़ा आराम दो

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28 JAN AT 14:05

कुछ लड़के नहीं कह पाते
अपनी प्रेमिका को हाल-ए-दिल अपना

कुछ होते हैं शर्मीले,
जो नहीं जता पाते हैं मोहब्बत अपना

वो चाहते हैं कि वो खुद-ब-खुद समझ जाएं,
खुल के नहीं कह सकते हैं उसे अपना

मैं चाहती हूं, ऐसे लड़के को….
गुलाब के साथ ढेर सारा प्यार भेट करना,

की गर इज़हार न भी करें,
तो उसे कह सके अपना


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28 JAN AT 0:31

नींद चैन सब गंवा बैठे हैं

न यार मिला, न प्यार
हम अपनी होश भी गंवा बैठे हैं

मोहब्बत में सिर्फ थोकरे खाएं है,
एक कलमकारि का हुनर था...
जो उसपे वार के हम ये भी गंवा बैठे हैं

कैसे दिल्लगी करें हम यारों,
सबकुछ उसपे गंवा बैठे हैं

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27 JAN AT 0:27

अपनी अमानत समझकर रख लेना

पहले से आख़िरी मुलाकात तक ,
सब व्याखित है इत्मीनान से पढ़ लेना

तेरी हर अदा को जा़इके से पेश किया है,
हो सके तो थोड़ा चख लेना

तुम्हें महबूब, सनम, दिलकश,
दिलरुबा...सब लिखा है,
बस तुम होंठों से चूमकर दस्तख़त कर देना

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25 JAN AT 18:07

ज़ख्म की गुहार को लोग अक्सर ....
शायरी समझते हैं,
रो पड़ते हैं हम तेरा ज़िक्र करते-करते
और लोग हमें साहित्यकारी‌ समझते हैं

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19 JAN AT 2:15

अधुरा प्रेम है...
दुःख का पर्यायवाची शब्द है;

जिसे किताबों में कभी पढ़ा नहीं गया 
ये पढ़ा गया उसकी आंखों में,
उसकी गैरत में...

ये अनुभव है बिछड़न का....
पीड़ा है लगाव और एहसासों का

ये वो दुःख है,
जिसमें न तो मरते हैं, न तो जीते हैं
बस उस अधुरे प्रेम में... पत्थर बन जाते,
जिसे कोई तराश के हीरा बना देता है....
तो कोई तोड़कर कर कंकर 

कहां से आया ये??
अधुरे प्रेम का पर्यायवाची शब्द "दुःख"!!!
दिल से, ज़हन से...उस रुह से, रोम-रोम से...
वो हर कण-कण से;
जिसने इश्क़ किया और बेइंतहा किया 

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