एक दिन हुस्न से सादगी ने कहा
मुझको पहना करो सच्चा जेवर हूँ मैं-
तुम नज़रों में बसी हो मेरे
देखो फिर भी हर वक़्त तुम्हारा ही ख़्याल होता है
संग बादलों के गगन विहार करती फिरती हो तुम
और हवाओं में घुली सांसों सा मेरा तुम्हारा साथ होता है-
मोहताज नहीं ये चेहरा किसी श्रृंगार का
संवर जाती हूं जब-जब
तुम्हें सोचकर मुस्कुराती हूं-
हुस्न वालो को क्या जुर्रत है सवरने की
वो तो सादगी में भी कयामत की अदा रखते हैं 💓-
सादगी नें उन की कुछ यूँ सवाल किया
खुली जुल्फ़ों नें मानो बस बवाल किया
नज़रे झुका कर जब गुज़रे वो पास से
हमनें खूबसूरती से उनसे सवाल किया
उफ्फ़ पायलों की खनक गूँजी कानों में
सच में दिल ने बस उनका ख्याल किया
नज़रे जब हमने चुराना चाही थी उनसे
कम्बखत निगाहों नें जीना मुहाल किया
क्या अदा क्या लहजा़ रखते हैं सादगी से
हमें तो बस उनके काज़ल नें बेहाल किया
मोहतरमा झलक से मानों एक जन्नत मिली
हाय् कज़रारे नैनों ने ये कैसा कमाल किया
इश्क तो पहली नज़र में हो गया था उसको
इजहारे-ए-इश्क में महबूब ने साल किया-
है इरादा आज तुझे कुछ इस कदर लिखने का
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जिस सादगी ने मुझे कहीं का नहीं रखा,
वो आज कह रही हैं, कुछ तो गुनाह कर ।-
आग लगाना मेरी फ़ितरत में नही है
मेरी सादगी से लोग जले तो मेरा क्या कसूर-
मोटी मोटी आंखें
जुल्फ घनेरी काले बाल,
मुखड़े पर सादगी दिखे ,
दिखे होंठ लाल।-