मुझे पूरा समझने की चाह में ,
लोग बीच में नफरत करने लगते हैं ।-
इंसान तब समझदार नहीं होता है,
जब वो बड़ी-बड़ी बातें करने लगे।
बल्कि समझदार तब होता है,
जब वो छोटी-छोटी बातें समझने लगे।-
उन्हें अपना समझने से क्या फ़ायदा..!
जिनके अंदर आपके लिए अपनापन ही नहीं हैं..!!..!!-
बेहतर समझने लगे हैं वो मुझको,
मेरी गलतियां खुद पर मढ़ा करते हैं,
पहले ढूंढते थे बहाने बात करने के
जनाब अब मेरी आँखें पढ़ा करते हैं !-
मासूम होकर भी मासूमियत की उड़ाती आंचल मृदु जयंती,
कि क्षणिक अवसाद में न पिघलती कभी, है वह मोम जयंती,
एक क्षेत्र तक आकर रुकती असभ्य क्रोध, है सभ्य जयंती
सत्यप्रिया, अनुशासन विहीन, है क्षण कोपि संतोषी जयंती
कभी शांत विराग प्रिया कभी भीड़ प्रिय स्नेहिल सुधा जयंती
कि मंद हवा के झोंके सा शीतल, है कोमल हृदय जयंती
प्रेम को कर करवश खिलती फूलों सी चंचल सुंदर जयंती,
दूर गगन से भी विशाल है ख्वाब जिसका, एक आश जयंती
छूकर न जाने कितने हृदय फिर भी अछूत,है एहसास जयंती
नयनों से परे जो स्पंदित होता प्यास, वह स्पंदन प्यारी जयंती
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इंसान सिर्फ एक ही बात से
अकेला पड़ जाता है ,
जब उसके अपने ही उसे गलत
समझने लगते है-
पराये शहर में जब काम करने की सोचें तो,
उस शहर में किसी को अपना समझने की भूल
न करें लोग साथ देगे तो उम्मीद जरूर करेगें।
बाकी आप समझदार है।-
समझने वाले
हंसी के पीछे छुपे
दर्द को भी ..
समझ जाते हैं
और ना समझने वाले
बहते आंसू
भी नहीं समझ पाते!
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नजरों से भी कुछ बातें समझी जा सकती हैं
बस वो समझने की कोशिश करें इतना काफी है-
मरने वाले को रोने वाले
हज़ार मिल जायेगे ,
मगर जो ज़िंदा है उसे
समझने वाला एक भी
नहीं मिलता ....-