जिंदगी-ए-सफर में
अक्सर मिलना
उनसे हुआ
जिसने साजिश रची
हमारी बर्बादी की ,
राह-ए-सफर में
हम भी
मिलकर चल दिए
क्योंकि जवाब देगी
बुलंदियां हमारी
शौहरत की।-
भले ही, शौहरत हमारी तुमसे, कई ज्यादा हो।
तुम, इन निगाहों की मोहब्बत़ पाने के लिए,अपनी फितरत, मत बदलना।
बस! तुम अपना दिल, नेक रखना और ताउम्र, हमें अपने संग, लेकर चलना।।-
उनके हुस्न से मिली है मेरे इश्क को ये शौहरत
मुझे जानता ही कौन था तेरी आशिकी से पहले-
जब भी तुम यूँ बातें बनाती हो
उनमें बहलाकर-उलझाकर
मुझको फँसाती हो,
मैं हर बार की तरह
गुस्से से रूठ जाता हूँ
चिढ़ता हूँ उखड़ता हूँ
झनझना जाता हूँ,
तुम चेहरे पर चेहरे बना
फ़िर मुझे हँसाती हो,
गलती मेरी, अक्खड़पन मेरा
पर तुम, अपने दोनों कान पकड़
जब होंठ अंदर दबाती हो,
सारे दिन की थकावट
ज़िन्दगी के सारे गम
दुनिया का हर सितम
मेरी रूह से दूर भगाती हो,
कैसे मैं यह सनकीपन छोड़ दूँ?
तुमसे रूठना, चिढ़ना छोड़ दूँ?
तुम्हारे चेहरे की वो मासूमियत
वो बांकपन, वो अदाओं का
नज़राना छोड़ दूँ?
कैसे, मेरी रूह को मिलने वाले
आब-ए-ज़मज़म का प्याला तोड़ दूँ?
हाँ तुम कहो तो इन सब के बदले में
यह शौहरत, यह दौलत
यह महफ़िल छोड़ दूँ
- साकेत गर्ग-
सारी उम्र बीत गई..
कुछ भी नहीं मिला अभी तक।
अकेला था..अकेला हूँ,
कोई यार नहीं मिला अभी तक।
आवारा था..आवारा हूँ,
कोई मंज़िल..कोई मक़ाम नहीं मिला अभी तक।
ज़िन्दा था..ज़िन्दा हूँ
पर ज़ीने का सहारा नहीं मिला अभी तक।
सफ़र में था..सफ़र में हूँ,
एक अदद हमसफ़र नहीं मिला अभी तक।
पैसा है..शौहरत है..फ़िर भी बड़ा ग़रीब हूँ,
क्या करूँ..
उसका प्यार नहीं मिला अभी तक।
- साकेत गर्ग
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ए खुदा ऐसी सोहरत बख्शना मेरे नाम को
जिसके भी लबों पे आए, मुस्कुराहट के साथ आए
🖤🚦-
ना दौलत, ना शौहरत, ना ही वाह-वाही चाहिए
मुझे तो बस महादेव की कृपा चाहिए
🔱जय महाकाल 🙏-
ना खाली हाथ आयी थी ना खाली हाथ जाऊँगी
दुनिया मे कदम भी किसी की दुआआे का नतीजा था
दुनिया से विदा भी खुबसूरत यादो के साथ हो जाउंगी-
शौहरत सौ कदम पर थी और
हम चार कदम पर....!
हमने भी जी जान लगा दी....!-