कुछ कहानियां "बीच" से शुरू होकर,
"शुरुआत" पर खत्म होती हैं ।-
भेंट मुलाक़ात करनी होगी
दिल तेज धड़कता है सोचके
कि उनसे बात करनी होगी-
मेरा अधूरा इश्क़, अधूरा ही रह गया...
ताउम्र के लिए तेरा नाम, मेरी जुबां पर रह गया
मेरा इश्क़ अधूरा रह गया...
एक ख़्वाब पूरा देखा था, वो ख़्वाब अधूरा रह गया
मेरा इश्क़ अधूरा रह गया...
इतनी भीड़ थी आस पास, फिर भी मैं अकेला रह गया
मेरा इश्क़ अधूरा रह गया...
ये दर्द बड़ा जानलेवा था, फिर भी मैं इसे सह गया
मेरा इश्क़ अधूरा रह गया...
मेरा अधूरा इश्क़, अधूरा ही रह गया...!!— % &-
तुम अंत पूछते हो मेरा,
पहले मुझे मेरी शुरुआत लिखने दो।
तुम उंचाइयाँ लिखो अपनी,
मुझे मेरी पतन की कहानियां लिखने दो।-
न तेरा इज़हार, न ही मेरा इंतजार लिखूंगी,
इश्क़ में तेरा जुनून और मेरा सुकून लिखूंगी।
गुलाबों की महक तो सबने लिखी होगी,
मुझमें तेरा इत्र बन कर महकना लिखूंगी।
इन फ़ासलों को लिखने का क्या फायदा,
मेरी सांसों में तेरा बसर करना लिखूंगी।
बरसों तक चलेगी ये अधूरी कहानी हमारी,
मैं, मेरे अंत से तुम्हारी शुरुआत लिखूंगी।
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कब तक तुम यूं आलस करोगे,,
कब तक तुम आगे नहीं बढ़ोगे।
तुम्हें अपनी लड़ाई खुद ही लड़नी होगी,,
और इसके लिए कभी तो शुरुआत करनी होगी।।-
सुनो !!
दावे मोहब्बत के मुझे नहीं आती
कैसे निभानी है मुझे नहीं आती
बस इतना जानती हू
दिल जब किसी के ख्यालों में खोता है
बिन कुछ कहे आखों से जब बात होती है
सायद तभी मोहब्बत की शुरुआत होती है-
भूल जाओ वो सब ।
क्यों उन बातों को याद करना
क्यो अपना दिल दुखाना ।
ये तकदीर के खेल बहुत अनोखे होते है
जो होता है अच्छे के लिए होता है
उस वीरान ज़िन्दगी के पलों को भूला कर
आओ आज एक नए दिन के साथ और
नई उम्मीदों के साथ शुरुआत करें ।
आओ एक नई ज़िन्दगी की शुरुआत करें।
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झूठ ही बोलो, मगर इकरार तो करो
दिल टूट जाए बेशक, पहले प्यार तो करो
हर मुसीबत से लड़ने का हुनर रखते हो तुम
आफताब भी निकलेगा शुरुआत तो करो-