चैत्र की गणगौर सी, सरकार की सिरमौर सी;
वैशाख की आखातीज, वो हर दिल अज़ीज़ सी।।
जेष्ठ की वटसावित्री सी, ज्यूँ गुणकारी जावित्री सी;
आषाढ़ की रथयात्रा, ज्यूँ गृहस्थी की तीर्थयात्रा सी।।
सावन की रिमझिम सी, मन से है जो अप्रतिम सी;
है भादो की हरतालिका, वो स्वाभिमानी अम्बा सी।।
अश्विन की विजयादशमी, है वो भोर की रश्मि सी;
कार्तिक की दीवाली सी, शुभ-लहर मतवाली सी।।
मार्गशीर्ष का वैकुंठ वो, संस्कृति की अनुगामी सी;
पौष की सिहरती सर्दी, रखती वो सबसे हमदर्दी सी।।
बसंती माघ की मस्ती सी, हस्ती है वो कोहिनूर सी;
फागुन की अल्हड़ होली सी, सबकी वो हमजोली सी।।-
मनुष्य के अनेकों महत्वकांक्षाएं होती हैं
पर त्याग और बलिदान ही व्यक्ति को श्रेष्ठ बनाती है-
मन के कच्चे धागें जब किसी से
बंधते है तो अपनी दृढ़ता, इच्छाशक्ति
स्थापित कर देते हैं......
(शेष अनुशीर्षक में)
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व्यक्तित्व का धनी हों सकता हैं वो व्यक्ति
जो कर्म और भाग्य के मेल को जानता हैं-
ज्यादा बोलकर आकर्षण का केंद्र नहीं
आप बनते हैं मजाक का पात्र
(Caption पढें 👇👇👇)-
हमें बुरा इस बात का नही लगता हैं जब कोई व्यक्ति हमारी मदद नही करता |
हमे बुरा इस बात का लगता हैं कि जब हमें उस व्यक्ति की सबसे ज्यादा जरूरत होती हैं , तब वह हमारा साथ छोड़ देते हैं |-
जितना सुंदर मन होगा।
उतना सुंदर इंसान और उसका व्यक्तित्व होगा।
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”मुझे मेरे जैसा ही सरल सहज व्यक्तित्व
बेहिसाब अच्छा लगता हैं...
हकीकत और हैसियत से जुड़ा हुआ
ख़्वाब अच्छा लगता हैं...
मुझे मालूम हैं ये उदासी और परेशानियां
मेरा पीछा छोड़ने से रही...
इसीलिए मुझे चेहरे पर मुस्कुराहट का
नकाब अच्छा लगता हैं...!-
आनंद जीवन में महत्वपूर्ण व्यक्तित्व बनाना है
न कि कोई पद सामर्थ् सामग्री आदि कमाना है।
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बिखरे हुए व्यक्तित्व से कई ज्यादा अच्छा,
एक निखरा हुआ व्यक्तित्व है।
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