आज के अख़बार के मुख्य पृष्ठ पर छपी दो खबरें
एक ऊपर तो दूसरी नीचे के भाग में
अख़बार को बीच से मोड़ने पर
दोनों खबरें हेडलाइन बनती हैं
एक से होता है सर फ़ख़्र से ऊँचा
तो दूसरी से होती है शर्मिंदगी
एक ख़बर है चन्द्रयान की
'भारत चांद छूने चला'
दूसरी ख़बर गिरिडीह की है
जहां डायन समझ पीटा गया
एक महिला को पेड़ से बांध कर
अख़बार की तरह हमारा हिंदुस्तान भी
मुड़ा हुआ है दो भागों में
एक आगे है
जिसे हम पढ़ते हैं, देखते हैं,
जिसके साथ चलते हैं
दूसरा पीछे है
जहां अंधेरा है,
जो हमारे साथ नहीं
जो काफी पीछे छूट गया है
जो रहता है हाशिये पर
और छपता है मुड़े हुए अखबार के
पीछे वाले भाग में-
कविता,
कविता बनने से पहले
होती है शब्द
और शब्द बनने से पहले होती है
कवि के मस्तिष्क में टकराती ध्वनि तरंगें।
कवि सुन लेता है उन्हें,
चाहे तब मन शांत हो
या अशांत।
विज्ञान के अनुसार
मनुष्य सभी ध्वनियों को सुन नहीं सकता
मगर कवि सुन सकता है।
मैं सुन सकता हूँ
टूटते तारे की ध्वनि
बहते आँसू की ध्वनि
खिलती कली की ध्वनि
ये ध्वनियाँ मुझे सोने नहीं देती।
-
Silence is an answer for many questions & keeps healthy
It's sergical strike on opponent-
Science is the magic of the universe and we are its magicians who are carrying their magic on science with the magic wand in their hands..
-
प्रकृति से तेरी खिलवाड़ का, ये अंजाम ही तो है।
गलती वही बार बार करता, तू नादान ही तो है।
खुदा हँस रहा होगा, तेरा ये खेल देख कर...और
"इंसान सोचता है", जिंदगी बस विज्ञान ही तो है...
#COVID-19-
मैं मृत्यु के बाद किसी भी तरह के जीवन में, कोई यक़ीन नहीं रखता हूँ। इसी कारण से मैं अपनी ज़िंदगी, जन्नत की लालच और जहन्नुम के भय में नहीं व्यतीत कर रहा।
-