तुम सीख जाओ बोलना भी, मन की हर बात को,
मैं हूँ निपट अनपढ़, मुझे पढ़ना तक नही आता!
दिखा दो अपनी आंखें खोलकर दिल के आईने को,
मुझे आँसुओं की जुबान का तज़ुर्मा भी नहीं आता!
जता दो पर्दे के पीछे की छिपी ख़्वाहिशों की मूरत,
मैं नही हूँ शिल्पी, मुझे पत्थर तराशना नहीं आता!
बहा लो मुझे भी अपने संग, जज्बातों के भंवर में,
मैं हूँ शांत समंदर, मुझे लहरें उठाना नही आता!
भर दो साँसे मेरी जिंदगी में, तेरी साँसों की तरह,
मैं बसर करूँ तो कैसे, मुझे जीना तक नहीं आता!
जो भी हूँ, जैसा भी हूँ, जंहा भी हूँ, तेरे सामने ही हूँ,
समेट लो मुझे बाँहों में, खुद को बिखेरना नहीं आता!-
सात सुरों का बहता समंदर तेरे नाम,
हर सुर में है रंग झनकता तेरे नाम!
तन मन से तरबतर जो हर मौसम,
और हवा का सर्द दुपट्टा तेरे नाम!
तेरे बिना जो उम्र बिताई, बीत गई,
अब इस उम्र का बाक़ी हिस्सा तेरे नाम!
लहरों ने रेत पर तेरा नाम लिखे,
उन लहरों का रेशा-रेशा तेरे नाम!
__राज सोनी-
गंगा की लहरों पर असंख्य दीप जो जल गए
फलक के सितारे उन्हें देख देख जल गए...
कभी कभी ही सही, ज़मी के सितारों से ये
जहाँ भी सजता है,
यूं गुमां न कर ओ आसमां एक आकाशगंगा
हमारे यहां भी बसता है।...-
तुम सागर, मैं लहरों में तुम्हारे बहती..
तुम मुझमें खुद को समेटते, मै तुझमें ही बिखरती रहती..!!-
आँखें वही हैं जिन्होंने डुबाया था
फ़र्क इतना है कि अक्स बदल गया...
" Raag "-
जो मांगते थे हमसे हमारी मोहब्बत का सुबूत
उनसे कह दो जाकर देख लें
जिस रेत पर हमने उनका नाम लिखा था न
वहां अब 'लहरें' भी नहीं आती-
दिल में दर्द और चेहरे पर मुस्कान हमारी भी होती हैं,
बस लोग उस मुस्कान के पीछे दर्द को नहीं समझ पाते..!!!-
हमने भी हँसना सीखा है
लहरों से लड़ना सीखा है
क्या बात है जमाने की
औरों से जीना सीखा है
कुछ साथ रहे या न रहे पर
कुछ पलों को संजोना सीखा है
हमने भी हँसना सीखा है
लहरों से लड़ना सीखा है
माना कुछ तो खोया है
पर खोकर भी हँसना सीखा है
हाँ, हमने हँसना सीखा है
लहरों से लड़ना सीखा है....!!-
शान्ति की चाह रखते हो,
फिर भी लहरों से मोहब्बत करते हो,
ए आशिक़! तुम भी कमाल करते हो!-
शान्त गहरे सागर सा मन
लहरों सी ख्वाहिशें
फैलायें बाहें सबकुछ समेट लेना चाहती हैं,
इक पल में.......
और छोड़ जाती अपने साथ लेकर आयी
कुछ सीपींया जिनमें मोतीयों का जन्म होता हैं!-