जहाँ दूसरों को उनकी वाली
उनके माँ-बाप से
'अलग' करना चाहती है
वहीं 'मेरी वाली' मुझे
मेरे माँ-पापा की सेवा
करने को 'उकसाती' है
जहाँ बाकी चाहती हैं
उन पर हो ख़र्च
और ख़र्च भी हो बे-लगाम
यहाँ मेरी वाली ख़ुद पर तो क्या
'मेरे अपने ख़र्चों' पर भी
'लगाम' लगाती है
जो कोई अपनी वाली से
कभी बात ना कर पाये
वो सारी दुनिया सिर उठाती है
यहाँ मेरी वाली मुझे 'थका पाकर'
बात करने का 'ख़ुद का मन मार'
डाँट-डपट मुझे 'सुलाती' है
करती होगी दूसरों की
वो शोना-बेबी-बाबू
उनसे वो सब प्यार-व्यार
मेरी वाली तो बस हर पलछिन
हर साँस के साथ
मेरा 'साथ' निभाती है
- साकेत गर्ग 'सागा'-
आप अपनी 'मक्कारी पर लगाम' लगा देते
तो मेरी भी 'ज़बान पर विराम' लगा रहता-
" मन पर कठोर नियंत्रण बेहद जरूरी हैं
लगाम ना लगाने से भविष्य पछतावे भरा होगा!-
होठों पे आते आते जो थम जाता है तेरे
उस अनकहे से नाम में रक्खे हुए हैं हम
सुनने को उम्दा शायरी बढ़ती रहे तड़प
सो इस लिए निज़ाम में रक्खे हुए हैं हम
कर दो डिलीट फोन से नंबर हमारा अब
क्यूँ बे-वजह ही नाम में रक्खे हुए हैं हम
करती है याद हम को वो बस सुब्ह इक दफा
तुलसी के जैसे बाम में रक्खे हुए है हम
होगा हमारा ज़िक्र यहां सालों साल अब
उल्फत के हर कलाम में रक्खे हुए है हम
बस प्यार के दो बोल है कीमत विशाल की
कब से उसी ही दाम में रक्खे हुए हैं हम-
मैदान ए जंग में मैंने बहुत गुस्सा निकाला है
भरोसा कर तू मेरा मैंने लगाम दांतों से संभाला है ।-
# 14-04-2022 # गुड मार्निंग # काव्य कुसुम #
# बुद्बिमान # प्रतिदिन प्रातःकाल 06 बजे #
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अवसरों की प्रतीक्षा करने वाले नहीं अपितु अवसरों को झपटने वाले बुद्बिमान होते हैं।
अवसरों का दास बनकर रहने वाले नहीं अवसरों को लपकने वाले बुद्बिमान होते हैं।
अवसर सभी की ज़िंदगी में आते हैं लेकिन अवसरों का स्वागत करना आना चाहिए-
अवसरों के हाथ में आते ही उनकी लगाम थामकर पकडऩे वाले बुद्बिमान होते हैं।
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