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तु रास रसावे सबको रिझावें....
व्याकुल तेरे दरस को ये बेचारी!
नटखट रंगीला तेरा हैं अंदाज....
कबसे हम तरस रहे देख छटा न्यारी।
रंग बरस रहें, लगा के अंग....
बरसानें में खेलें होली संग राधा प्यारी!
ना तड़पा तु हैं छबीला, जाने है सबकुछ
कुछ रंग इधर बरसा दूर कर अब तड़प हमारी।
मैं बेबस हूं, कन्हाई, मैं हूं लाचारी.....
देख जरा इधर तो कृष्ण मुरारी,मेरे बांके बिहारी!
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नही बनना चाह कभी "रूक्मणी",
मैंने तो बस "राधा" सा साथ चाह था,
तुम भी तो बन जाते "कृष्ण",
मैंने तो बस, इतना ही तुमसे कहा था।।-
जग झूम रहा
जिसकी
मुरली की तान पर,
वो कान्हा तो बजाए धुन
सुनाए,सिर्फ,लाड़ली सरकार को
वृषभानु दुलारी सुध भूल गयी
सुन धुन मनोहारी मन हारी..!!
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कोन मिटाये उसे जिसको
राखे राधा रानी पिया ,
सब दुःख दुर हुए
जब तेरा नाम लिया ।।।-
रुप तेरा निरखत रहुँ मौन अधर पर होई
ना पुष्प ना चंद्रमा इतना सुंदर नही कोई
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❤🌹श्री मद भागवत ,❤🌹
के कण - कण में ,❤
श्याम का निवास है ,❤
श्याम सुंदरी श्यामा का , ❤
भले ही इसमे , ❤
कहीं नाम नही , ❤
पर वो श्याम ह्दय में ,❤
बस कर ,❤
श्याम में ही ,❤
श्री बन भागवत में , ❤
करती वास है । ❤
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कृष्ण पग पखारत औ रुक्मिणी जल ढ़ारत
औ प्रिय सुदामा प्रयोजन कहै को मन मारत
अनुशीर्षक में पढ़ें..-
जाते जाते मेरी दिल की सल्तनत से
एक शख्स मेरी आंखों में रंगत लुहानी दे गया
कोई जवाब न था मेरे सवालों का पास उसके सो
जिस्मानी बोलकर मुझको जख्मी कहानी दे गया
उसने बहलाया खुद को मुझे दागदार बताकर
दिखा के आइना मुझको बेबस जिंदगानी दे गया-