इश्क़ करते हो तुम मुझसे,ये राज कहाँ पर्दें में है।
और मैं हँस देती हूँ, कि तुम से ये राज पर्दें में है।।
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इतना मुस्कुरा क्यों रहे हो ?
किसी का राज पता चल गया
या खुद के राज छुपाने में कामयाब हो गए..-
बातों ही बातों में कुछ ऐसा राज़ था,
वो दूर होकर भी मेरे ही साथ था।-
जैसे छुपा कोई राज गहरा है
अगर कभी लोगो की सूरत पे जाओगे
तो ज़िन्दगी में धोखा जरूर खाओगे
क्योकि यहाँ चेहरे के पीछे चेहरा है
ये संसार वो नही जो दिखता है ।।।
ना जाने कितने लोग झूठ का
नकाब ओढ़े रखते है।।।
कई लोगो का अपने मतलब के लिए
ईमान तक बिकता है क्योकि
चेहरे के पीछे चेहरा है ।।।-
हँसते चहरे के पीछे छुपे कई राज है
ताजा है कल के घाव,दफन उनका आज है
अल्फाज़ो में हुक कोई उठती है
टूटे सारे दिल के साज है
ख्वाहिशे भी सिर उठती है
धुंधले जिनके ख्याब है
आशियाना चमचमाता सा लगता है
अंदर दहकती जिंदा आग है
दर्द आख़िर किसीको सुनाएं वह
लोटी उसकी सब फरियाद है
हँसते चहरे के पीछे,छुपे कई राज है
ताजा है कल के घाव,दफन उनका आज है.....-
सुनो...
मैं तुम्हे तब तक प्रेम करुँगी,
जब तक मेरा अस्तित्व विलीन नहीं हो जायेगा
जहाँ हम मिलेंगे सीमाओं से परे..
और तब मेरे प्यार का एहसास तुम्हे ज़रूर होगा..!!-
वहीं कर दो खत्म
जो हो गया सो हो गया
जाने दो उसे
बात बढाओ मत
क्यो जख्मों को कुरेदना
क्यो उसका राज भेदना
जो चला गया
उसे बुलाओ मत
यूँ बात बढाओ मत-
कुछ राज दबे हैं, मगर कह नहीं सकते
और दर्द इतना है, कि सह नहीं सकते
खुश रहना हैं सबके साथ, रखना है खुश सबको
आंसू आंखों में बहुत हैं, मगर बह नहीं सकते
तूफान आया है मोहल्ले में, हमारे भी रफ्तार से
हम दरख़्त के सहारे है, इसलिए ढह नहीं सकते
धर्म की सख्त तहरीरों से, टूट जाती हैं कितनी ही मोहब्बतें
क्योंकि हीर-रांझे दुनिया के आगे, कुछ कह नहीं सकते
आखिर क़यूँ नहीं समझती, ये जालिम दुनिया
कि हम उनके बगैर, अब रह नहीं सकते-
*बाहर का दरवाजा*
सुबह तुम्हारे जाने से सांझ तक राह तकता है
सांझ हुई अब घर आजा कहता है, वो बाहर का दरवाजा
तुम्हारे बाहर की मटरगस्ती हो, या हो भीतर का कोई राज
हर एक बात से वाकिफ है, वो बाहर का दरवाजा
जब रूठ के तुम जाते हो, जोर से उसे पटककर
तो दर्द से भी कराहता है, वो बाहर का दरवाजा
तुम्हारी हर खुशी भीतर लाता है, हर गम बाहर ले जाता है
दिन रात रखवाली करता है घर की, वो बाहर का दरवाजा
कितने चिराग जले और कितने बुझे हैं उसकी देहरी पर
जाने कितनी ही पीढ़ियों के राज छुपाता है, वो बाहर का दरवाजा-