_________________________________
-
-----------------------------------------------------
खम्मा घणी सा...
राजस्थान के निवासियों को
राजस्थान दिवस री घणी-घणी शुभकामनाएं-
पग पग पूजै पूतळी, थपिया
खेजड़ थान !
संत सती अर सूरमा, म्हारै
राजस्थान!!
कैर कुमटिया सांगरी, धरती
निपजै धान!
मीठा बोलै मानवी, म्हारै
राजस्थान!!
घर आया आदर घणों, मिनख
बढ़ावै मान!
भलै पधारों पाहुंणां, म्हारै
राजस्थान!!
राजस्थान दिवस की शुभकामनाएं🙃-
शूर-वीरों की इस धरती की सबसे अलग ही पहचान है!
यहां संतों , सतियों , भक्तों , कवियों की जबरदस्त आन-बान है!
यह मिट्टी मोतियों का सागर और हीरों की खान है!
हम इस मिट्टी की संतान हैं , जिन्हें इस पर गर्व और अभिमान है!
हमें इस मिट्टी का यशोगान प्रिय है
हम इस मरुभूमि पर न्यौछावर हैं!
ओ मेरे प्यारे राजस्थान ! तुम्हारी निरंतर जयजयकार हो!!
-
जब मानवता के बादल छट जाते,
शोर्यपूरूष जन्म लेते हैं,
राजस्थान की धरा पर डगमग दिग्गज बोले हैं,
तब मीरा की गाथा ने स्त्रीयों को उभेरे हैं,
जहाँ रेगिस्तान की चादर पर,
दुश्मनों का परमाणु विस्फ़ोट हुआ,
तब-तब रावत भाटा भी ऊर्जा का स्त्रोत बना,
शीश कटते वीरों के राजस्थान भी अमर हुआ,
कल-कल बहता राजस्थान,
शहादत का ऐसा बलिदान,
प्रताप, चेतक, राणा सांगा,
कि लहू का अभिमान है,
आज भी जीता राजस्थान हैं,
आज भी जीता राजस्थान हैं..
जय राजस्थान।।-
आ धरती गौरे धोराँ री,
काचर और मीठे बोराँ री।
शूरमा पृथ्वीराज जिसा,
प्रताप और बादल-गोरा री।।
कविता केप्सन में....-
आ धरती धोरा री
वीर - वीरांगणा री शान
पृथ्वी राज , राणा प्रताप, राणा सांगा
जस्या वीरां री आ धरती
पन्नाधाय, हाडा राणी, राणी पद्मिनी
रे बलिदान सूं रंगी आ धरती
मीरां सी दासी, करमा सी भगतन बस अठे
रेत रां धोरा सूं लेर झीलां री नगरी अठे
आपणां पराया रो राखां माण
मेहमान नवाजी देखण खातर
पधारो म्हारे राजस्थान ...!!!-
उतर मे गंगनहर दक्षिण में माही की लहर
पश्चिम में थार का मरू पूर्व में मैदानी तरू !
दक्षिण-पश्चिम हाडौ़ती मालवा का पठार
मध्य भाग में है अरावली रीढ़ का आधार !
थार की लूनी मैदानो में चम्बल-वर्णाशा
उदयपुर की झीले चित्तौडगढ़ की गाथा !
सूर्यनगरी का सौन्दर्य पर्यटक को लुभाता
राजधानी का दर्शन तो हर कोई चाहता !
बिकानेरी भुजिया जोधपुर का साफा
नागौरी संगमरमर विदेशो को जाता !
भरतपुर राज्य दिल्ली तक हो आता
बणीठणी चित्रकारी देखो प्रेम जगाता !
शूरवीरता की कथा इतिहास दोहराता
मेरी पहचान यह प्रांत हैं दिखलाता !
जय-जयकार यह भारत की लगाता
राजस्थान नाम ऐसे ही नहीं कहलाता !-
कर्म भूमि म्हारै राजस्थान री,
महराणी, करणावती, पद्मावती,
मातृभूमि बलिदानी माँवां री,
रामदेव जी, तेजाजी, गोगाजी री,
वैकुंठ सरीखी भूमि भगता री,
तीज, गणगौर,होल़ी, बासोड़ा री,
राजस्थान भूमि रंगरंगीला तिवांरां री,
दाल़बाटी चूरमां अरु खाणा की बहार री,
राजस्थान मीठी आदरवाल़ी बोली री..।-