QUOTES ON #राजधानी

#राजधानी quotes

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25 NOV 2018 AT 21:52

मैं भुवनेश्वर हूँ
आप के दिल में बसने वाला एक शहर हूँ।

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13 FEB 2024 AT 21:15

पन्ने पलटता रहा फिर भी इत्र ना मिला कहानी में
अब भी ढूंढता हूं मैं रंग नलके के पारदर्शी पानी में

कहने को सबसे बड़ा शहर और इतने सारे लोग यहां
मगर दिल की बात करने एक इंसान भी नहीं राजधानी में

ज़िन्दगी की रफ्तार इतनी तेज़ कर दी हमनें कि अब
खुद की गलती पर पकड़ता दूसरों का गिरेबान परेशानी में

आदमी का तस्सुवुर रह जाता कहीं वक्त की निगरानी में
अक्सर हम अपनों से ही टकरा जाते हैं हम सावधानी में

दुनिया को हर दम बताता रहता कि तू कितना अमीर है
मगर शख़्स भूल जाता कि कितने पैबंद लगे हैं शेरवानी में

दिल की बात करने एक इंसान भी नहीं राजधानी में....

'विवेक सुखीजा'

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6 APR 2020 AT 14:22

तू मेरी राजधानी हैं
उस शहर की कहानी हैं
जिस रास्ते से गुजरा करता था
वह राह पुरानी हैं

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21 JUL 2020 AT 7:37

पहले झूठे वादे होंगे ,
फिर टालने के इरादे होंगे,

फिर समस्याओं का अंबार ,
प्रचार का कारोबार,

विज्ञापनों की भरमार,
क्या टीवी क्या अख़बार,

वातानुकूलित धरना होगा,
और ज़िम्मेदार केंद्र सरकार,

मुफ़्त की राजनीति से ,
राजधानी का बंटाधार ।

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हर निर्णय पर खुली बग़ावत।
क़दम क़दम पे झंडा काला।।
सुलग उठेगी यदि रजधानी।
देश का मालिक ऊपर वाला।।

😢सुलगते मंज़र😢

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जहाँ "खाँसी।"
वहाँ "तुलसी।।"
फॉर्मूला
चल सकता है।
राजधानी में?

😊स्मृति पर ज़ोर दो😊

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तब
कानून की जंग थी
डॉक्टर डेंग से।
अब
सरकार का सामना है
हरामखोरों की गैंग से।।

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ईंट फेंकता कलवा देखो।
हिंसा वाला हलवा देखो।।
दहशत-गर्दी बलवा देखो।
मासूमों का जलवा देखो।।

😢बाबाजो का बायस्कोप😢

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17 SEP 2019 AT 13:59

ये दिल बन गया है अब एक राजधानी
जिसके राजा तुम और मैं....रानी!

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4 MAR 2020 AT 22:59

अभिव्यक्ति की आजदी पर
आओ थोड़ा रोष लिखें
दिल्ली की अधिकृत सड़कों पर आओ थोड़ा दोष लिखें
अभिव्यक्ति वाले शव बन बैठै
कलम अमर रह जाती है
गूंगे बहरे तंत्र को वो कोस कोस कर कहती है
शाहीन बाग बनी सड़कों को
कब तक खोला जाएगा
मुफ्त यात्रा दिल्ली की करनी रस्ता कौन दिलाएगा
इन मुफ्त बांटने वालों पर
आओ थोड़ा दोष लिखें
अभिव्यक्ति की आजादी पर आओ थोड़ा रोष लिखें

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