विरह जब पीड़ा की जगह
आनंद देने लगे तो समझिए
प्रेम वास्तविक व परिपक्व है!!-
हमें गिराना शौक है उनका,
और.....
गिरकर उठ जाना हमारी फितरत
ना ... read more
लो आ गई जनवरी की
पहली तारीख....
कल दिसम्बर की थी
आखिरी तारीख....
आज कहीं कोई जश्न नहीं है,
मगर ,कल डूबे थे सब,
शोर- शराबे में , मस्ती में,
देखो ज़माने की फ़ितरत,
लोग तुम्हारे आने से ज्यादा....
तुम्हारे जाने का जश्न मनाते हैं !!-
तुमसे मुलाकात हो या ना हो
पता रहे मुझे हाल तुम्हारा बस
क्या इश्क़ में ये काफी नहीं है!
तुम इश्क़ करो या ना करो
तुम सुन लो बात मेरी बस
क्या इश्क़ में ये काफी नहीं है!
तुम मेरा साथ दो या ना दो
मेरे साथ को ना न कहो बस
क्या इश्क़ में ये काफी नहीं है!
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मौन एक साधना है जब बाहर का शोर शांत होता है तो मौन घटता है लेकिन आन्तरिक शोर बढ़ने लगता है जब आन्तरिक शोर अपनी चरम सीमा पर पहुंच जाता है तब यह स्वत: ही कम होने लगता है और फिर धीरे - धीरे शान्त हो जाता है। आंतरिक शोर शांत होने पर ही व्यक्ति स्वयं को जान पाता है और वास्तविक शांति व आनंद का अनुभव करता है। स्वयं को जानने के लिए मौन आवश्यक है।
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आज सफाई करते हुए मिली मुझे
तुम्हारी एक फोटो,
किसी पुराने परीक्षा फॉर्म से उखाड़ी हुई,
सील लगी हुई, नीली स्याही से रंगी हुई,
रंग कुछ उड़ा हुआ, गोंद भी था कुछ लगा हुआ।
मन किया क्या काम आएगी, फेंक दूं
सहसा मस्तिष्क में कौंधा एक विचार,
स्मार्ट फोन के इस जमाने में, जब है मेरे पास
तुम्हारी अनगिनत फोटो, अगर कहीं यह होती
केवल एकमात्र अंतिम फोटो तब, क्या तब भी
मैं फेंक देती इसे इसी तरह से, नहीं नहीं तब
मैं इसे रखती संभालकर, अपनी डायरी के पन्नो़ं के बीच,
बहुत ही सुरक्षित तरीके से,
कहीं और खराब न हो जाए,
ये खराब फोटो
मेरे पास विकल्प थे तुम्हारी फोटो के, तो
बिना सोचे कुछ फेंकने को तैयार थी मैं तुम्हारी फोटो
यदि विकल्प ना होते तो, तो झट सहेज ली होती मैंने
तुम्हारी फोटो
तो क्या किसी का महत्वपूर्ण होना केवल विकल्पों की
उपलब्धता अनुपलब्धता पर निर्भर है ?
इन्हीं सब विचारों में उलझते हुए
उठा ली मैंने तुम्हारी फोटो
और रख दी है सहेजकर ,
अपनी डायरी के पन्नों के बीच
बिल्कुल सुरक्षित तरीके से।।
क्यूंकि वास्तविक प्रेम में विकल्प नहीं होते,
प्रेम सदा ही विकल्पों से परे रहा है।।
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तुम्हारा जाना और आना,
बीच का फासला,
सदियां लगता है।
सूरज उगता है, दिन ढलता है,
पर तुम्हारी....
यादों का कारवां नहीं थमता है!!-
"जीवन"
राम के आदर्श देखिए....
गीता को व्यवहार में उतारिए,
और कृष्ण बनकर जीवन का,
आनंद लीजिए!!-
परिपक्व प्रेम मुक्त रखता है,
अपने प्रेमी को सदैव....
प्रेम करने की बाध्यता से,
प्रेम निभाने की बाध्यता से
वो जानता है अपनी हदें,
जानता है अपनी जिम्मेदारियां
सो रोज प्रार्थानाओं में मांगता है,
वो , खुशियाँ अपने प्रेमी की ,
मगर, कभी नहीं मांगता ईश्वर से
अपने लिए, अपने प्रेमी को!!-
गैरों के साथ सजती है
आजकल महफ़िल हमारी,
अपनों की बज़्म में इल्ज़ाम
बहुत है हम पर......!-