किसी की इबादत है,कि
किसी की वफ़ा है इश्क़,
कहते हैं पाक रूहों की
मुहब्बत का गुलिस्ताँ है इश्क़!
इस झूठी वफ़ा के मुग़ालते में
बिखरकर रह जाते हैं
कितने ही लोग,
जिसे लिखा था कभी
अमीर खुसरो ने
कहाँ है वो रूहानी इश्क़??-
कुछ पल मुगालते में भी रहना अच्छा लगता है
झूठ इतना भी बुरा नहीं होता...
-
जिसको सच माना हमने,
वो बस झूठा ख्वाब निकला
किसी की किस्मत खराब निकली,
किसी का दिमाग खराब निकला
बड़ा शबाब था उसमें,
था वह नकाब में जब तक
नकाब जब हटा तो देखा,
वह तो बस नकाब निकला।-
"मुगालते पालना तो कब का छोड़ चुके मोहतरमा
तुम्हें जिसकी होना है बेझिझक उसकी हो जाओ"-
"वो इस मुगालते में थे,
कि चंद रुपयों में हम बिक जायेंगे
वो इस कोशिश में मशगूल थे,
और हमें प्यार की दरकार थी..."
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"मुगालते दूर होते रहें सबके
बहुत जरूरी है यह भी
देश में सशक्त प्रजातंत्र है
जनाब मानेंगे यह भी"-
"वो इस मुगालते में थे कि
चंद रूपयो में हम बिक जाएंगे
वो इस कोशिश में मशगूल थे
और हमें प्यार की दरकार थी"-
"वो इस मुगालते में थे कि
चंद रुपयों में हम बिक जायेंगे
वो इस कोशिश में मशगूल थे,
और हमें प्यार की दरकार थी..."
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हम मुगालते में रहे कि,,
दूर है,,, मीलों दूर हैं चाइना
उससे भी ज्यादा,,,,
इस मुगालते में थे कि,,,,वायरस हैं,,
छोटा सा, जो दिखता भी नहीं हैं,,,
नंगी आंखों से,,,
नहीं पहुंच सकता हम तक,,,
ना ही सह पाएगा, हमारे यहां की गर्मी,,,
गरमी जो बह रही हैं,,, हमारे खून में
जाति - धर्म रूपी शराब की तरह,,
और ये शराब,,,
जिसका नशा काफुर हो जाता हैं,
राजनीति की बिसात पर,,,
इस बिसात के खिलाड़ी राजनीतिक,,,
वे भी इसी मुगालते में थे,,,,
और,,,
अब भी हैं,,,,
कि,,,,,
हवाई मार्ग से आने वाले श्रमिक ही,,,
भारतीय है,,,
बाकी जो ,,,
सड़कों पर हैं,,,,
वो तो सिर्फ और सिर्फ,,,
प्रवासी हैं !!!-