दिल की आरज़ू को कुछ यूं शब्दों में बयां करती हैं,
ख़ुशी खुशनुमा रंगों से जज्बातों को रंगा करती हैं ।
ख़ुशी की डायरी के पन्ने हवाओं में फड़फड़ाते हुए,
कलम की स्याही से पन्नों पर अल्फाज़ लहराते हुए।
नारी की व्यथा को छंद लाइनों में यू बयां करती हो,
विधवा का दर्द हो या रुढ़िवादी सोच पर विचार हो।
प्रेम बिखरेती हो, कलम को ही सच्चा साथी मानती,
भिगी जुल्फों की छीटों से पन्नों को रंगीन कर जाती ।
नादानियों में नहीं तेज ज्वाला सी दिखा करती हो,
सपनों की उड़ान में पंख सम्भालें उड़ा करती हो।
मन की बातों को शब्दों में यूंही पिरोते रहना,
ख़ुशी हो हमेशा खुश रहना यूंही लिखते रहना।-
Thaara roop rang pe jyo mann na kese aawe..
Khawaban mai jab baatyan terii ghiraawe ..
Raatya mai ab toh manne khyal ye tero aave..
Dharti -ambar ,chaand sitaara ;
manne bhave koni jab thaare syu hiwde laage..
Ye tu bhi jaane ,thaari liye hai mann katro meryo bhaage ..
Ambar barse jadd yaadaan thaari aawe ..
Mai hi jaanu ke preet ye kesi laage ..
Jo deed karu te saansya badh mhaari jaawe ..
Aao kabhi the je e deed mhaane karaawe ,daal baati churmo thaane je chori khilawe ..
Jaipurye ki hai chori jo ye geet likhe jadd khyal nayo so aawe!!
Tried to write marwadi lyrics so Marwaris give a look and tell how's it ?
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💦 पनघट 💦
कठे गुम होग्यो म्हारों पनघट, कठे गुम हो गई गांव री पणिहारण,
पनघट पर हो जाती अच्छी खासी पंचायती, पनघट सजतो पणिहारण।
इतल पितल रो बेवडो़ मांजती , कर घड़ा ने चौखों जाती पणिहारण,
घड़ा उपर घड़ों राखती, घड़ा ने लेती कैर में छम छम चालती पणिहारण।
पनघट पे हो जाती सगळी बाता, सगळा रो घड़ों खिंचवाती,
कहती लुगाई थाने मिले ला सैल भंवर सा,सुण ने मन ही मन मुस्काती।
अब आग्या घर घर में नल , कुण देखेळा पनघट रो रास्तो,
कुण जी देवेला ओळबा, काले क्यों न आई मिलवण वास्ते।
जद कोई पुछेला छोरी पांवणा क्ई करेला,किंकण हैं उण रो हालचाल,
मुंडो निचो कर ने खुब सरमावती , नीर झखोरा खाएं हया में उठे हिलोर।
अब जाणे कोनी किण रे घरा ब्याव मांडियो,किण रे घरा में आई नवी लाडी ।
पनघट पर जाती साथण ने बतावती सैल भंवर री सगळी बाता,
नौ सो रो लेहरियों काली सीट रो गागरो कर सोलह शृंगार जाती।
चालती चालती भुलीया बिचरा गीत गुनगुनाती,बन्ना बन्नी रा गीतडा गावती,
तारा वाली चुनर ओढ़ ने नरम कलाई में चुडि़यां छम-छम बजावती।
कदी घुंघट में जाला देती , कद उड़ता पल्ला ने लहराती,
पियाजी ने देख सरमावती , पनघट पिहरीया री याद भुलावती।
कठे़ गुम होग्यो म्हारों पनघट, कठे गुम हो गई पाणी री पणिहारण ,
कुण बतावे म्हाने पियाजी रो पतों, लावती संदेशों पियाजी रो पणिहारण।
कुण बतावे म्हारे साथण रे सकपण रा समाचार ।
सुखों पड़ गया म्हारे घर रा पणिहारा-
सुणो म्हारा भरतार सा ,
बताता ज्याजों कैया आसी
थ्हें आ जासी झाला सै
या बुलाणौ पड़सी हेला सै ।।-
चंदो छिप्यो, सूरज उगयो..
कोयल बोले, मुर्गे दिन्ही बांग..
गुरुद्वारे रा कीर्तन, मंदिर री घंटियां संग..
सगलां जागे है जी..
घणा फुटरा लागे है जी,घणा सोवना लागे है..
नीना नीना बालकिया, नानी नानी बाइलिया..
सुथरो करगे तन, मन री शिक्षा लेवन..
स्कूल भागे है जी..
घणा फुटरा लागे है जी,घणा सोवना लागे है..
दादी देव चुंटियो, दादो सा मनुहार करे..
बडेरा री बात माने सगलां हामी भरे..
रीत पुरानी है जी सगलां सागे है जी..
घणा फुटरा लागे है जी,घणा सोवना लागे है..
खेतां मायने चाले ठंडी बयार..
मरवन साथे चाले मोटयार..
कांधे ऊपर भात टांगे है जी..
घणा फुटरा लागे है जी, घणा सोवना लागे है..-
उगते सूरज सागे काल मायने छिपग्या..
"किसान" जो होया गरीब "कर्जदार"..
सारी फसलां "टिड्डी पतंगा" खाग्या..
ऊपर हूं आ जाड़े गी "ठंडी" मार..
अस्पतालां गी होई "खस्ता" हालत..
मायड़ दीया कई नैना "बच्चीया" वार..
लेर "डिग्रियां" अडिके "नौकरियां"..
कर पास परीक्षा वी बैठया बेरोजगार..
कठे तो डर सूं बीते जीव जिंदगानी..
कई तो डर सूं गया "सांवरा" हार..
क्या बातां "विकास" गी "भाईड़ा"..
चोखी आई म्हारी आ मोबी "सरकार"..-
पढ़ाई आपणी
फ्यूचर आपणो
ब्याह आपणो
लेकिन चिंता सारी
रिश्तेदार ने
😊😊😊😊-
आ सहेली अब घरे चाला..
संध्या गहराण लाग गी...
तेरली गुड़िया रोंती होसी..
घर आले नीम पर बैठी चिड़कली..
घोंसले मायने एकली हैं..
अंधेरे सूं डरती होसी..
बाबोसा आग्या होसी..
आम पापड़, गुरूचेला, चाचा चौधरी लेर..
मायड़ भी पका बाजरी री रोटी..
बाट जोंती होसी...
आंगन सुन सुनाट हैं तेरी मांची बिना..
चांद तारा भी एकला हैं तेरी हांसी बिना..
चाल जल्दी चाल..
बिना बात केया बूढ़ी दादी भी अब..
सोंती होसी..
आ सहेली अब घरे चाला..-
जद कठे होंती बेबी सोप..
ना कोई शैंपू, ना कंडीशनर..
मायड़ तो बस निरमा साबन हूं नुवां देंती..
आँख्या मायने पड़ती साबन..
टाबरिया चीखता..
मायड़ कान गे नीचे दो लगा देंती..
फेर लगा सरसुं आलो तेल बालां में..
टेडी टाल काढ़ देंवती..
धोला धोला डोबा मायने घाल काजलियो..
माथे टिकड़ी मांड देंवती..
घरूं जावे तो हैं, पण नास ना होई..
निजरा हूं डरा देंती..
खेल्या पछै देख कोजा कपड़ा..
गाल लाल सुजा देंती...
जो भी हों साहिबा बालपन प्यारो हो..
मायड़ म्हारी छोटी छोटी बात मायने भी..
जिंदगी री मोटी मोटी सीख भी सिखा देंती..
माटी में रहगे, माटी रो मोल बता देंती..-