प्यारे
मामा श्री जी 🤗🤭-
आदरणीय मामा जी,
प्रणाम !
हम सब यहाँ पर सकुशल हैं, आशा है आप भी ठीक होंगे
यहाँ इस बार फिर प्रचंड गर्मी पड़ रही है ।इसलिए हम
गर्मी की छुट्टियाँ आपके यहाँ बिताना चाहते हैं ।हमने
ISRO airlines की 4 टिकटें बुक कराई हैं ।"चांदनी"
मामी को कहना कि हमारे लिए साफ़ सुथरे कमरे और
Allout का इंतजाम रखेंगी ।जय श्री कृष्णा !😊😊😊
तिथि : 31-05-2050
आपका भांजा
माधव-
पहले सूर्य का तेज गया जीवन से
फिर चंदा मामा भी दूर भये आंगन से
अब घुप्प अंधियारा है केवल जहांन में
जब सूर्य,चन्द्र हो गायब आसमान से
इक पथ प्रदर्शक, दूरदृष्टा,थे पूरित स्वाभिमान से
इक शीतल मन, कुशाग्र बुद्धि,थे गर्वित सम्मान से
अब हमको चलना है उनके खड़े किए प्रतिमान से
अब घुप्प अंधियारा है केवल जहांन में
जब सूर्य,चन्द्र हो गायब आसमान से-
थोड़ा नहीं उम्र भर का साथ मिले,
हर जन्म में यहीं संसार मिले,
वो ही कोख, वो ही आंगन मिले,
वो ही मां की ममता,
पिता का प्यार मिले,
थोड़ा नहीं उम्र भर का साथ मिले,
वो ही भाई बहन का साथ,
वो ही बचपन मिले,
हर जन्म में यहीं संसार मिले,
वहीं नाना नानी का दुलार,
वहीं मामा का प्यार मिले,
वहीं मासी से मां जैसी ममता मिले,
वहीं अपना वहीं पराया मिले,
हर जन्म में यहीं संसार मिले,
थोड़ा नहीं उम्र भर का साथ मिले।-
तुम्हारा जमीर खरीद ले इतनी औकात रखते हैं
वो और कोई नहीं मेरी मम्मी के भाई मेरे मामा जो कहलाते हैं😎😎😎-
आज फिर एक सूरज डूब गया,
अपने इस जीवन से ऊब गया।
वो मधुर कविताएं अब न सुनाई देगी,
वो महफ़िल की रौनक न दिखाई देगी।
अब कौन सभी को याद किया करेगा,
उनके जन्मोत्सव पर बधाई दिया करेगा।
कौन रोचक किस्से सुनाएगा हंस हँसकर,
कौन पीठ थपकायेगा बहुत बढ़िया कहकर।
अब शादी सम्मेलन में आपकी बड़ी कमी लगेगी,
बिन आपके वो शाम और रंगीन कैसे बनेगी।
आज फिर एक कवि की कलम चुप हो गयी,
उसी के साथ वो भी एक गहरी नींद में सो गयी।
मामाजी आप बहुत-बहुत याद आएंगे हमें,
वो हसीन पल याद आपकी दिलाएंगे हमें।
✍️हर्षा जैन मित्तल
*एक कवयित्री का दूसरे कवि के लिए भावपूर्ण श्रद्धांजलि*
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मेरी मां का गांव
वो कच्ची डगर, वहीं पैडों की छाव
चलो चलें आज फिर ,मेरी मां के गांव
नानी के हाथ की चूल्हे वाली रोटी ,
नाना के साथ खेतो का वो काम
दिन भर की मस्ती दोस्तो के साथ
हर शरारत को देते थे अंजाम ।
पीने का पानी ट्यूबवेल का वो ,
वो खास था बगीचा ए आम
चलो रोके वक्त को वापस से
घूमने चले मेरी मां का वो गांव।
मामा का वो कंधा और बड़ी सी दुकान
कितना अच्छा होता था वो लम्हा पूछते थे
सब मुझे मेरे पापा से पहले मेरी मां का नाम।
चलो आज फिर ......
हसीन गर्मी की वो बचपन वाली छुट्टी
वापसी का वो नानी वाला 10 रूपए का इनाम
चलो भी अब चलते है सब मिलकर
कितना सुन्दर है वो मेरी मां का गाव
जहां आज भी है मेरी मां के नाम से मेरी पहचान
चलो आज फिर .......-
आज मेरे मामा का जन्मदिन है ये मेरे मामा यानी मां और मां से दोगुना चाहने वाले । जिनकी उंगलियां पकड़ कर बड़ा हुआ उन्होंने चलना सिखाया इस दुनियां में जीना सिखाया उनके बताए रास्ते पे चलने से आज जो कुछ हु उनकी बदौलत हूं उन्होंने मुझे वो हुनर सिखाया हे जिससे कई दिलो पे राज किया जा सके ।
कभी दोस्त कभी सलाहकार , भगवान कृष्ण की तरह
बड़ी सीधी तरीके से बात को समझाते है
हम मामा भांजे हमेशा एक दूसरे को करीब पाते है
मेरे हर छोटे बड़े काम सुख दुख में मुझे हमेशा प्रोत्साहित करने वाले सदा मेरे साथ रहने वाले अब में क्या कहूं उनके बारे में शब्दकोश भी कम पड़ रहा है केसे बयां करूं में क्या दिन है आज मेरे लिए खुशनसीबी है मेरे की तुम हो मेरे मामा
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मामा बढ़िया सूट लाते हैं
माँ उसे फिर कोथली में दे देती है !!-