Pradeep Rathore   (प्रदीप राठौर)
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Joined 27 June 2020


Joined 27 June 2020
22 MAY 2023 AT 14:08

हल्की हल्की बारिश की बूंदों से
जो खुशबू उठती है ना अचानक से
कुछ ऐसे बड़ी प्यारी महकती हो तुम
क्या बताऊं तुम्हे कैसे लगती हो तुम

रात के अंधेरे में जब सब कुछ खो सा जाता हैं
तब तारों से भी प्यारी चमकती हो तुम
क्या बताऊं.......
जादूगर का जादू जब सब से ऊपर होता है
तब उसके उस अंतिम करतब सी दिखती हो तुम
क्या बताऊं...
जब सब कुछ थम जाता है अचानक से
तब एक उम्मीद सी लगती हो तुम
क्या बताऊं....

हर हाल मैं हर जवाब सवाल मैं
बड़ी खूबसूरत लगती हो तुम
क्या बताऊं...
जब अचानक से सब अहसास बिखर जाता है
तब कहीं अनकहा सा सुकून लगती हो तुम
क्या बताऊं....
अब कैसे बताऊं तुम्हे मैं चांद शब्दों में
किस हाल मैं कब कहां कैसी लगती हो तुम

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6 DEC 2022 AT 18:21

तुझ पर यूं मेरा हक जताने दे
तेरे बारे में मैं सोचता बहुत हूं
मेरी सोच पर आज विराम लगाने दे
मैं तो कबसे तेरे हिस्से में हूं
मैने मेरा सब तुझ पर छोड़ा
अब आगे तेरी अपनी मर्जी
मुझे पाने के लिए अपनी जान लगा दे
या फिर मुझे यूं ही जाने दे

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16 NOV 2022 AT 20:57

मेरे उमड़ते एहसासों का हिसाब हो तुम
मेरे ख्यालों की बची इकलौती याद हो तुम
आंखों को सुकून देने वाला ख्वाब हो तुम
अब क्या बताऊं तुम्हे लफ्जों मैं एसे
मेरी किताब का आख़िरी जवाब हो तुम

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9 NOV 2022 AT 21:23

माना मुझे उसकी तरह मुस्कुराना नहीं आता
हाल ए दिल के जज्बात उससे छुपाना नही आता
वो थोड़ा नए ख्यालों वाली लड़की है और
मुझे नया ख्वाब बनाना नहीं आता
वो सुबह देर से उठने वाली है बिस्तर से
और मुझे अपना बिस्तर भी बनाना नहीं आता
उसे पसंद है नए नए पकवान शहर के
मुझे रोटी से आगे कुछ खाना नहीं आता
वो थोड़ी सी गुस्से वाली है
मुझे गुस्सा दिखाना नहीं आता
अक्सर रूठ जाती है वो मुझसे
मैं ठहरा जज्बाती लड़का मुझे मानना नहीं आता

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9 NOV 2022 AT 0:22

तेरे हाथों मैं मेरा हाथ आज भी है
तू और तेरा ख्याल मुझे आज भी है
तेरी अपनी फितरत है मेरा अलग किरदार है
याद रख मेरे कंधे पर तेरा सर आज भी है
मैं रोकूंगा नहीं,बेवजह जो गुस्सा कर तो रही हो
होठों पर तेरे मुस्कुराहट मेरे नाम की आज भी है
यकीनन तुझे यूं मना तो मैं एक पल में लूं
उस चमक का क्या तेरी आंखों में जो आज भी है

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27 OCT 2022 AT 17:27

झुकी नजरों में एक अहसास देखा है
तेरे गालों के डिंपल को मैंने बेहिसाब देखा है
कमरे के पुराने सीसे मैं कल मैंने नया किरदार देखा है
माना तुम नहीं हो यहां यकीनन फिर भी
मैंने तुमसे भी हसीन तुम्हारा ख्वाब देखा है

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6 OCT 2022 AT 11:23

उसकी आंखों में छुपे अहसास को में समझ लेता था
अब उसका अहसास बदल जाए मुझे क्या पता ....
उसकी शर्ट की पहली बटन पर जो मेरा हक था
अब उसे कोई और हाथ लगाए मुझे क्या पता....
वैसे तो मेरे झूठे कप को वो खुद उठा कर पीती थी
अब उसकी चाय किसी और की हकदार हो क्या पता...
वैसे तो उसकी हर हसी मेरी कर्जदार थी
लेकिन अब आसुओं पर किसको याद करे क्या पता ...
कहती थी उसको मैं बेहद प्यारा हूं
अब उसका मन बदल जाए क्या पता ....
वैसे तो हर एक दिन की परवाह थी उसे मेरी
अब मै लापरवाह हो भी गया तो उसे क्या पता ...

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2 SEP 2022 AT 2:41

अच्छा अब मैं चलता हूं
तुम अपनी मंजिल अब से खुद ढूंढ लेना
मैं तुमसे बिना मकसद के कब ही मिलता हूं
कुछ वादे तुम्हारे भी तो आज अधूरे रहे
कुछ ख्वाहिशें मैं अपनी लिए निकलता हूं
अच्छा अब मैं चलता हूं

ये कहानी यहीं दम तोड रही है
मैं किसी और रूप में कही और मिलता हूं
आंखों में बेबसी लिए
होठों पर लाचार हसी लिए निकलता हूं
अच्छा अब मै चलता हूं

यकीं रखना मुझपर एक वादा करके निकलता हूं
किसी की कहानी में किसी नए किरदार में मिलता हूं
अच्छा अलविदा अब मैं चलता हूं

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25 JUN 2022 AT 16:35

अगर मुखातिब हो जाऊं हरबार तुमसे यूं ही,
तो फिर कुछ नया पाने को बचा ही क्या है।
और अगर यूं सो जाऊं बिना कुछ कहे,
तो अमूमन कहने को बचा ही क्या है।
अगर तुम मुझे मिल जाओ अंततः ,
फिर ढूंढने को बाकी बचा ही क्या है ।
जो तुम भी मिला दो औरों की तरह हां मैं हां मेरी ,
फिर हम दोनो मैं जरा बताओ अंतर बचा ही क्या है।

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17 MAY 2022 AT 21:37

बिना वजह भी मुस्कुरा लेता हूं
जज्बातों को अपने अंदर दबा लेता हूं
तुम्हारी समझ से परे सक्सियत है मेरी
मैं अमूमन पानी में भी आग लगा देता हूं
डरो मत मुस्कुराना जारी रखो
अपने अहसास अब मिटा लेता हूं
छोड़ो फिक्र करना खुश रहो तुम भी अब
सब जान कर भी मैं लोगों को गले लगा लेता हूं

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