sunaina bisht   (Sona bisht)
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Joined 29 August 2019


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12 FEB 2024 AT 12:18

यूं तो खुश होने का एक बहाना ढूंढते हैं ,
यूं तो खुश होने का एक बहाना ढूंढते हैं,
अपने दर्द को छुपाने का नया ठिकाना ढूंढते हैं,
दिल के टूटे हुए इस भवर में ,
दिल के टूटे हुए इस भवर में हम,
दिल को जोड़ने का नया बहाना ढूंढते हैं।

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24 JAN 2024 AT 22:25

कहीं दूर है वह जिंदगी से बहुत दूर है
पास होकर भी दूर है वह जिंदगी से बहुत दूर है
माना हर लम्हा है साथ मेरे,
पर फिर भी कहीं दूर है वो,
खोया हुआ है खुद ही के ख्यालों में डूबा हुआ है, खोया हुआ है खुद ही के ख्यालों में डूबा हुआ है,
मानो कुछ कहना चाहता है पर जुबां पे रुका हुआ है, मन की गहराई के अंदर तो झांक,
मन की गहराई के अंदर तो झांक,
एक बार अपने दिल की बात लफ्जों में लाकर तो देख,
दूर हो कर भी, पास आकर तो देख,
अपनी जिंदगी में, एक बार हमें जगह देकर तो देख।

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22 JAN 2024 AT 20:50

कुछ लम्हे तो मेरे हो,
कुछ पल तो मेरे हो,
जिन पलों में मैं जी सकूं,
वह पल सिर्फ मेरे हो,
कुछ लम्हे मेरी हो,
जिन लम्हों में अपनी दिल की बातों को कह सकूं,
जिन लम्हों में अपनी आप को समझ सकू,
बस वह कुछ लम्हे मेरी हो।

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22 JAN 2024 AT 20:46

लो राम अयोध्या आए हैं,
बरसों बीते उनकी राह देखें,
फिर अयोध्या में राम जी के जयकारे गुंजे है,
लो राम अयोध्या आए हैं,
सीता संग लक्ष्मण को लाए हैं,
हनुमान बने उनके सेवक उनके साथ आए हैं,
लो राम अयोध्या आए हैं,
अयोध्या की नगरी को दियों से सजाएंगे,
दिए प्रज्वलित कर,
आज हर घर में दीपावली मनाएंगे।

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4 FEB 2023 AT 1:22

आज मां की ममता याद आती है,
याद आते हैं वो पल,
जब तुम साथ होती हो,
तुम साथ होती हो, पिता का साया साथ होता है
हिम्मत तुमसे, गुरुर पिता से मिलता है,
याद जब पिता की आती हैं,
तन्हा खुद को पाती हूं ,
पर फिर तुम्हारी हिम्मत देख कर मां,
आंख भर आती हैं,
एक दूजे का सहारा बनकर,
एक दूजे को संभालेंगे,
पापा की याद में,
कुछ आंसु हम एक साथ मिलकर बहाएंगे।

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23 JAN 2023 AT 23:57

खुद ही खुद को पढ़ता हूं,
खुद का हिसाब रखता हूं,
ज़िन्दगी का एक पन्ना,
हर रोज मैं पढ़ता हूं,
कुछ अधूरे सपनों से,
कुछ अनसुलझे सवालों से,
जिंदगी का हिसाब मैं रखता हूं,
ज़िन्दगी का एक पन्ना,
हर रोज मैं पढ़ता हूं...!!!

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20 JAN 2023 AT 9:43

कुछ मैं सोचूं ,
उसे शब्द तुम देना,
जीवन के हर पड़ाव में,
साथ मेरे तुम रहना,
हर घड़ी बदलती है,
परिस्थितियां ऊपर नीचे होती है,
पर थामा है जो हाथ मेरा,
उसे उम्र भर निभाना।

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31 DEC 2022 AT 20:36

पापा आपकी यादों में,
एक किताब लिख दूं,
इन किताबों के हर एक पन्नों में,
आपकी मुस्कान लिख दूं,
आपके लिए समय के कालचक्र को घुमा कर,
आपके लिए जिंदगी लिख दूं,
माना वक्त बड़ा बेमान है,
पर आपके लिए उस वक्त से बगावत कर लूं...!!!

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29 OCT 2022 AT 15:23

हारा बिखरा मैं टुकड़ों में बट गया,
समेटते समेटते खुद से दूर हो गया,
मौत तो एक दिन आनी थी,
मैं मौत के गले में खुद ही झूल गया...!!!

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13 SEP 2022 AT 22:42

कुछ राज छुपा था उसकी खामोशी में,
कुछ कहना चाहती थी वो,
अपने सीने में दफ़न राज से,
बाहर आना चाहती थी वो,
अंधेरे में एकान्त पाकर,
बन्द कमरे में तन्हा रहना चाहती थी वो,
खुद से खुद को मिलाकर,
कुछ पल खुद के लिए जीना चाहती थी वो।

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