उससे देख होले से मुस्कुराना ,
और बस उसे चाहना,
उसे पाने का ख्वाब देखना
और खोने से डर जाना ,
हर पल उसे याद कर
उससे मिलने के सपने सजाना ,
पूरे दिन की उदासी का
उसे देख छूमंतर हो जाना,
वो जब से मिला जैसे
जिंदगी में सुकून है खिला ,
बचपने से भरा उसका प्यार
यूही हर मौसम रहे बना,
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अब रास्ते सारे बंद है ,
उम्मीद थी ,,
जिसका अब धुंधलाता हर पहर है,
फिर भी लगता सब सही हो जाएगा
पर इस झूठ से अब वाकिफ हम हैं,
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भीड़ में हूं पर साथ कोई नहीं,
करनी है बात पर पास कोई नहीं,
उससे बात क्या की
वो तो चरित्र पर प्रश्न चिन्ह लगा गया,
जो ये प्रश्न चिन्ह हटाए उससे
अब बात कोई नहीं,
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जनवरी से शुरू होकर दिसंबर पर खत्म हुआ साल,
मेरी कहानी भी कुछ इसी तरह रही ,,....-
दोष छिपाया जाता हैं तो वह
बड़ा हो जाता हैं और स्वीकार
करे तो गायब हो जाता हैं-
दिल के किनारे पर रख
दरकिनार कर दिया,
बुना था एक ख्वाब
जिसे कतरा कतरा तोड़ गया,
अब ना रखी किसी से उम्मीद
ना कोई ख्वाब,
साथ हैं खुशी का
और खुशी के साथ चल दिया ,-
हम उन्हें खोना नहीं चाहते थे
पर उन्होंने हमे पहले ही खो दिया,
अब हम उन्हें मिलना नहीं चाहते ....
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वो खुद से रूठ कर कहा जाए
वो किसी किसी को मनाए
जो मान गया गलत,तो गलत ही सही
वो अकेला ही हैं,पर हैं तो सही..........-