अगर कुछ कहना हो कभी तो मुँह पर कह देना मुझे
दूसरों की बातों में लगा मसाला मुझे हज़म नहीं होता-
डॉक्टर ने कहा था -
"खाया न करो मसालेदार"
क्या बताऊँ दोस्तों तबसे,
छोड़ दिया पढ़ना अखबार।-
जेब में खनकता, सिक्का तेरे इश्क़ का
जिताये हर बाज़ी, इक्का तेरे इश्क़ का
जाने कौन से मसाले डाला करती हो तुम
जी मेरा ललचाये, टिक्का तेरे इश्क़ का-
ज़िंदगी की सब्ज़ी में
प्यार के मसाले ना भूल जाना
फीकी पड़ जाती है ज़िन्दगी
भरोसे का नमक ना भूल जाना-
मैं थी बेरंग
मैं थी बेस्वाद
तुम से मिलन से पहले
तुम्हारे रंग से
रंग जाती हूँ मैं
तुम्हारी महक से
महक उठती हूँ मैं
आखिर मान ही लिया
लौकी ने
मसालों को देख
(अब नीचे से ऊपर तक पढ़े)-
जरा सी सिसकियों से खुल जाता हूं में ,
कि कोई मजबूत फ़ौलादी ' ताला ' नहीं में ।
बाएं हृदय और दाइने दिमाग से चलता हूं ,
कि एक हाथ से चलनेवाला ' भाला ' नहीं में ।
तेरे बार बार चले जाने पे भी मुस्कुराता हूं ,
कि मकड़ी सा फसानेवाला ' जाला ' नहीं में ।
खुले प्रेम पुष्प की खुशबू को आज़ाद रखता हूं ,
कि संबंधों को बांधने की कोई ' माला ' नहीं में ।
हर जगह स्वाद अनुसार लिया जाता हूं ,
कि नमक हूं कोई गरम ' मसाला ' नहीं में ।
पूर्ण प्रेम करने की सोच कर भी हारता हूं ,
कि काला तो हूं ,पर कृष्ण सा ' काला ' नहीं में ।
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शायद मुहब्बत आज पान मसाले सी हो गई है,
कि होठों से लगायी फिर सडकों पे थूक दी गयी है।-