शब्दों से खेलना
छोड़ दिया
क्योंकि शब्दों का
कोई मूल्य नहीं होता
अर्थहीन होती जा
रही हैं कविताएँ
मृतप्राय हो चुकी हैं
मनुज की भावनाएँ
अब गणित का खेल
उनको भाता है
भावनाओं का गुणा-भाग
ही उनको आता है
इसीलिए धरी रह गई
मेरी इच्छाएं
मन में ही दफन हो गई
मेरी कविताएं
और मर गई एक लेखिका
जन्म लेने से पहले।।-
Dear ex,
रहोगी जब भी तन्हा तुम,
तो पहले मेरी ही याद आएगी!
साथ में गुजारे थे जो पल,
वो रह-रहकर तुझे रुलाएगी!
परेशान होकर तुम दूसरों को,
हसीन लम्हों की तारीख,दिन और साल बताएगी!
पल भर के लिए तो
सब कुछ ठहर सा जाएगा,
जब तुम्हें मेरी कोई
कही अनकही बात याद आएगी!
रहोगी जब भी तन्हा तुम
तो पहले मेरी याद आएगी!!!
(Your ex sona)-
अक्सर तुम जिसे प्राथमिकता देते हो,
उसके लिए तुम सिर्फ विकल्प मात्र होते हो।।-
लोग कहते जिंदा रहना मुश्किल है
मैने देखा है खुद से मरजाना और भी मुश्किल है-
उन्हें जाना था बेवजह ही चले गए
फर्क क्या उन्हे की हम तन्हा रह गए
"पत्थर दिल " सा निकला वो शख्स
जो ये भी न जाना उसके बिना कैसे रह गए
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हम तो बेवजह ही अच्छा बनने की कोशिश करते रहे ज़िन्दगी भर
करना बस इतना था कि मर जाना था
अच्छे खुद-ब-खुद बन जाते-
--" अच्छा लगा "--
पलकें पोंछ के मुस्कुराना अच्छा लगा
अरसे बाद गुजरा जमाना अच्छा लगा.
लहरें बीच समंदर में भी खुश थीं मगर
उन्हें किनारों पे टूट जाना अच्छा लगा.
तन्हाईयाँ जितनी लिखीं थी मेरे नाम पे
उन्हें गजलों में गुनगुनाना अच्छा लगा.
मेरे हाथों में जो मिली वो तस्वीर तेरी थी
तूझे देख देखकर मर जाना अच्छा लगा.
✍🏻--" विशाल नारायण "
--" तन्हाईयों की महफिल " से
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तेरे ख्वाबो में आने को दिल करता है
तुझे अपना बनाने को दिल करता है
यूँ खुद पर इतना इतराया न करो..
तेरे इतराने पर मरजाने को दिल करता है
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