वह चले झोंके कि काँपे, भीम कायावान भूधर,
जड़ समेत उखड़-पुखड़कर, गिर पड़े, टूटे विटप वर,
हाय, तिनकों से विनिर्मित, घोंसलों पर क्या न बीती,
डगमगाए जबकि कंकड़, ईंट, पत्थर के महल-घर;
नाश के दु:ख से कभी, दबता नहीं निर्माण का सुख
प्रलय की निस्तब्धता से, सृष्टि का नव गान फिर-फिर!
नीड़ का निर्माण फिर-फिर, नेह का आह्वान फिर-फिर!-
ये बारिश भी कितनी अजीब है
पूरे तन को तो भीगा देती है
मगर उसके सामने आँसू छुपाने में
मेरी मदद नहीं कर पाती है-
हमसे पहले भी लिखे हैं हमारे बाद भी लिखेंगे
अगर जज़्बात भी लिखे हैं फ़िर दाद भी लिखेंगे
क़ौम के नाम पर मार देते हैं हम एक दूसरे को
लिखने वाले तो सिर्फ़ उसे दंगे-फ़साद ही लिखेंगे
दो प्यार करने वाले सुकून से कहीं बैठ जायें अगर
हम देखकर उन्हें सिर्फ़ वही लव-जिहाद ही लिखेंगे
किसने वतन के साथ गद्दारी की सबको पता ही है
पर कुछ बिके हुए लोग उन्हें फ़िर आज़ाद ही लिखेंगे
भले ही चन्द लोग आयें अब नेताओं के भाषण में
हम तो बस सेवक हैं हम उन्हें इक तादाद ही लिखेंगे
सुना है 'हर मुश्किल हल हो जाती है' मदद् करने से
किसी की हुई मदद् को भी हम फरियाद ही लिखेंगे
ये वतन के ना हुए तो फ़िर तेरे कैसे हो जाते "आरिफ़"
हर सरकार के बाद लिखा तो इसके बाद भी लिखेंगे
कुछ "कोरे काग़ज़" बचाकर रखना अपने पास लोगों
अगर आज श़ाद लिखा है तो कल नाश़ाद ही लिखेंगे-
बनावटी दुनिया में इंसानियत का तमाशा देखा,
आज हाथ उठे भी मदद को तो दिखावे के लिए !-
हमें बुरा इस बात का नही लगता हैं जब कोई व्यक्ति हमारी मदद नही करता |
हमे बुरा इस बात का लगता हैं कि जब हमें उस व्यक्ति की सबसे ज्यादा जरूरत होती हैं , तब वह हमारा साथ छोड़ देते हैं |-
जिंदगी में "बड़े मुकाम" पर पहुंचकर सबसे "जरूरी" है,
उस "मुकाम" पर कुछ पल रूकर पीछे "मुड़कर" देखना,
और उनलोगों को "धन्यवाद" बोलना,
जिनकी "मदद" से आप उस "मुकाम" पर पहुंचे हो..!!!
:--स्तुति
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एक मदद ऐसी भी
मुश्किल दौर में भी जरुरतमंदों को एक ₹ में इडली खिला रही 82 साल की पातिमा(तामिलनाडु) lockdown में भी कीमत बढ़ाने से इन्कार-
लगा ले जोर दुनिया अब,
मेरे खिलाफ हो जाए
ठान ली है मैने,
मुझे मददगार होना है।
रास्ता कठिन है, माना मैने,
पर किसी को तो दुनिया में,
समझदार होना है।।-