वर्तमान में वही मनुष्य खुश रह सकता है
जो अपने अतीत को भुला चुका हैं
और जिसे भविष्य की कोई चिंता नहीं है..-
कड़ियों से
जुड़ती हैं कड़ियाँ
कहीं हाथ पैर बँधे
कहीं मुँह में बेड़ियाँ
ऐसे ही
चल पड़ती है 'श्रृंखला'
//अनुशीर्षक
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किताबें 📚📚 यात्रा हैं,,भुत ☝ से भविष्य ✌ की.......
Trying to understand this line of mine will give a very deep meaning..
Thank you-
लोक का भय मिथ्या है। कर्तव्य का निर्णय बाहर देखकर नहीं किया जाता। तुम्हारा निर्णायक तुम्हारे भीतर है।
कौन क्या कहता है, कहने दो। तुम्हारा अंतर्यामी क्या कहता है, वही मुख्य वस्तु है।-
मैं
खोज रहा हूँ हर पल
अपने अंदर के खोजी को
जो खोजना चाहता है
वो खज़ाना
जो खो गया है।
मैं
खोद रहा हूँ
अतीत को
वर्तमान को
भविष्य को
और खो रहा हूँ
एक खज़ाना
खज़ाने की खोज में।-
भूतकाल के गर्भ से - जन्म,
वर्तमान के गर्भ से - जीवन,
और
भविष्य के गर्भ से - मृत्यु
की उत्पत्ति अटल है...-
जब भी वो रद्दी वाला
पढ़े लिखों की कॉलोनी से आता था
मैं भाग के उसके पास जाता था
और उन पढ़े लिखों की ज्ञान की कीमत
एक रुपिया किलो ज्यादा लगाता था
उनके घर की रद्दियों से
मैं अपना भविष्य बनाता था
ज्ञान कहाँ रद्दी हुआ है
किसी के काम तो आता था।
अब शायद वो रद्दी वाला
बूढ़ा हो गया
आज कल इस ओर नहीं आता।
ज्ञान की भूख अब भी है मुझमें
मैं खुद रद्दी वाला बन कर हूँ जाता।-