ए जिंदगी! कुछ ऐसा महसूस कर रहा हूँ।
महोब्बत कम, नफरत ज्यादा बैलेन्स कर रहा हूँ।-
मुझसे वो नज़रें चुराने लगे हैं
लगता है किसी और से
रिचार्ज करवाने लगे हैं!!🧐-
मैं क्या तुम्हें बैल दिखता हूँ ,
अरे भाई, ट्रैक्टर का जमाना है..
कुछ-तो अच्छा सोचो 🤔 मेरे बारे में..!-
जिंदगी की बैंक में जब प्यार का बैलेंस कम हो जाता है,
तब हंसी, खुशी और मुस्कान के चेक बाउंस होने लग जाते हैं |-
जिंदगी साइकिल चलाने जैसी है बैलेंस बनाने के लिए आप कोजिंदगी साइकिल चलाने जैसी है बैलेंस बनाने के लिए आपको चलते रहना होगा
-
जिंदगी की बैंक में जब
" प्यार " का " बैलेंस"
कम हो जाता है
तब " हंसी-खुशी " के
चेक बाउंस होने लगते हैं
इसलिए हमेशा
अपनों के साथ
नज़दीकियां बनाए रखिए ।-
ज़िन्दगी साइकिल चलाने के जैसे हैं।
बैलेंस बनाये रखने के लिए,
आप को चलते रहना होता हैं।-
जब उम्र होती है, शरीर मजबूत होता है, मगर मन कमज़ोर। जब उम्र ढलने लगती है, मन मजबूत होने लगता है और शरीर कमज़ोर। ज़रा सोचिए! उम्र रहते अगर मन मजबूत हो जाए तो! फिर मन भी है और शरीर भी। दोनों एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं। जब ये साथ हैं, फिर बारी आती है, दिमाग़ की। तो हमें इन तीनों को बैलेंस्ड रखना है, हमेशा। इसे हम जितनी जल्दी समझते हैं, खुद को उतना बेहतर रखते हैं। हालांकि, वक्त रहते ये समझ शायद ही किसी को आती है। पर कोई नहीं। जब समझ आए, तभी सवेरा।
-
रोज रोज थारी याद आवे है,
थारे से बात करने को दिल चाहवे है,
करने को तो कर लूँ call तूने, पर कि करूं
Costumar care की छोरी बैलेंस कम बतावे है।-