इश्क़ में इश्क़ होता है केवल और केवल बेपनाह इश्क़,
राह में फूल बिछे है या कांटे भला सोचता ही कौन है?-
हमने तो इश्क़ किया त्याग, विश्वास व समर्पण से ,
अब वह बेशर्म है, बेवफा है या वफादार, उसकी वह जाने.-
बेशर्म बारिश की बूँदों की तरह, मचल कर तुमसे लिपट जाऊँगी....
आगोश में लेकर तुम्हें हर हद से गुज़र जाऊँगी.....
रेत सी मैं सावन सा तू, रात की अंधेरी मैं.. दिन सा पावन तू,, खों कर वजूद अपना तेरे अस्तित्व में ही सिमट जाऊँगी
बारिश की बूंदों सी तुमसे लिपट जाऊँगी..-
एक बे वफ़ा होते हैं, एक बे शर्म होते हैं,
इश्क़ किसी पे जाया करना तो सोच कर।-
मुझे जिसके कारण छोड़ा, अपने दिल से निकाला।
उसको छोड़ दिया, या अभी भी उसी के नाल है।
ओ बेशरम ओ बेहया ओ बेवफा, तेरा क्या हाल है।-
खुद तो गलतीयों का पहाड़ चढ़कर आयी थी
फिर भी उसे हमने था संवर लिया...
थोडी सी गुत्साखी हमसे क्या हूई
कंबक्त ने साथ में चलना ही छोड़ दिया...-
आज के दौर में लड़कियां सबको शरीफ चाहिए,
और चरित्र देखने के लिए निर्वस्त्र चाहिए।-
तू क्या मूझ को जानेगा
मैं वो बेशरम इंसान हूं
जो पूरा टूट कर भी मुस्कुरा दे !
-
अमरबेल सी बन गई हैं ख्वाहिशें मेरी
हर रोज़ पूरी होती हैं,हर रोज़ नई उग आती हैं।-
बेशरम सी हो गयी है ख्वाहिशें मेरी,
हर रोज़ गला घोंटता हूँ, हर सुबह उठ खड़ी होती है... !-