बहुत याद आता है वो शहर जो हम छोड़ आए
लगता है जैसे किसी किताब का पन्ना मोड़ आए
छोड़ आए वो अल्हड़पन ,वो मस्ती,बेफ़िक्री का आलम
ज़िन्दगी के सफ़र की सबसे हसीन राह मोड आए
आज गुज़रे जो उस शहर से तो हुआ महसूस
जैसे यादों के गुलदस्ते से खूबसूरत गुलाब तोड़ आए-
पूछ ले चाहे कुछ भी मुझसे, कौन हूँ मैं ये बात ... read more
अजीब परीक्षा ले रहा है वो
दो फूलों से एक चुनने को कह रहा है वो
असमंजस में हैं किस पर हाथ रखें
एक तरफ़ दोस्ती है और एक तरफ़ मोहब्बत-
क्या खबर थी बैरन सोने भी नही देगी
उसने कहा था कभी पायल पहन कर आओ-
फेंक कर गुलाब यूँ मोहब्बत को हैरान न कर
तोड़ कर दिल किसी की खुशियाँ वीरान न कर-
मुददतों बाद उसके आने की खबर आई है
उससे मिल कर लगा पतझड़ में बहार आई है-
जान होती है माँ घर की,
माँ से ही तो खुशहाली है
है अधिकारी प्रेम और सम्मान की
फिर उसके हिस्से क्यूँ गाली है
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कुछ तो कारण होता है
बेवजह दिल में दर्द नहीं होता
देखा है ना समंदर को खामोश
समाता है बेचैनियाँ लहरों की अन्तर्मन में
हो जाती हैं बेकाबू जब लहरें
टूट जाते हैं किनारे भी आहत हो कर
कुछ तो कारण है किनारा टूटता है
सच ही तो है अचानक कुछ नहीं होता-
कभी कभी भीड़ में घिरा इन्सान
खुद बहुत अकेला महसूस करता है
कई बार चेहरे पर होती है मुस्कान
भीतर दिल उसका बहुत रोता है
दे जाता है हर पल ज़िन्दगी को तजुर्बा
ये तजुर्बा ही उसे परिपक्व बनाता है-