Happy Mother's Day
-
पूछ ले चाहे कुछ भी मुझसे, कौन हूँ मैं ये बात ... read more
वो जादूगर है शब्दों का
देखो कैसा जादू कर गया
लिखता रहा वो कागज़ पर
चेहरे पर शिवि नूर भर गया-
भूल गए तुम कभी तुम्हारी भी सरकार थी
क्या विपक्ष से तुम्हारी ऐसी ही दरकार थी
राष्ट्रहित सोचो, विश्व में अपना नाम करो
शर्म करो विदेश जा कर देश को न बदनाम करो-
इश्क़ बागबान है जो सुकूं ए गुलज़ार होता है
ख्वाहिशों के फूलों से भरा महकता गुलदान होता है
क्यूं जलाई तुमने ख्वाहिशों की लकड़ियां ऐ किनारा
इश्क़ आग का दरिया नहीं ख्वाबों का सैलाब होता है-
कौन होगा जो प्यास बुझाने को पूरा दरिया पी जाए
एक बूंद ही काफ़ी है बस तिशनगी मिट जाए-
रहने दे इस चांद को इसकी दूरी सीमित है
इश्क़े समंदर कैसे नापूँ जिसकी थाह असीमित है-
मचल रही है लहर दास्तां ए ज़िंदगी समंदर में किसे सुनाए अब
दूर तक किनारा ही है जो थामेगा किश्ती इश्क़ की डगमगाने लगेगी जब-
मर्ज़ बन जाता है इश्क़ अगर नज़रंदाज़ होता है
सच तो ये है शिवि ये इश्क़ लाइलाज होता है-
पूछेगा जब अन्तर्मन तुमसे
उजाड कर किसी की गृहस्थी
क्या तुम सुख से रह पाओगे
जिन बच्चों को कर चले अनाथ
अपने घर कैसे जाओगे
न कोई रिश्ता,न कोई नाता
न कोई बंटवारा था
फिर क्यूं तुमने मारा उनको
क्यूं मौत के घाट उतारा था
धर्म पूछ कर क्यूं मारा तुमने
क्यूं कलमा पढ़वाना था
सदा सनातन रहा विश्व में
अहिंसा का सन्देश दिया
तुम कायर तुम गद्दार बताओ
अल्लाह ने क्या तुम्हे यही सिखाया
पूछेगा जब अन्तर्मन तुमसे
ओ हत्यारो क्या तुम ऐसे
हूर और जन्नत पाओगे-