QUOTES ON #बेटी

#बेटी quotes

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8 HOURS AGO

सिर्फ़ बोलने के लिए ही ,
सबकी लाडली,लक्ष्मी और घर की मान होती हैं ;
क्योंकि,वास्तव मैं तो एक वक्त के बाद;
हर बेटी बोझ ही लगने लगती हैं।।।
हैं ना???

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30 JUN AT 18:43

सवाल ?
✍️




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18 JUN AT 21:47

जो दूसरे के चाँद पर नज़र रखते हैं,
भगवान उन्हें चाँद से भी प्यारी बेटी दें!

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17 JUN AT 21:59

कितना
सुन्दर है
खेलता
बचपन
क्यो कुछ
लोगों को
इसमें भी
हवस दिख
जाता है।

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16 JUN AT 22:48

हर रोज़ टूट कर बिखरती है फिर खुद से अपने को बटोरती है।
और ये समझाती है...
कि तुझे नहीं टूटना तुझे तो संवारना है, जीवन अपनों का।

तेरे सपने टूटे तो टूटे सही तेरे अपने छूटे तो छूटे सही।
पर तुझे नही टूटना गर टूट भी गई तो फिर जुड़ना है, खड़े होना है।

#क्योंकि तू स्री है...
इक बेटी, इक बहन, इक बह, इक पत्नी, इक माॅं
तू टूटेगी, तू रूठेगी, तू रोएगी
तू फिर से खुद को बटोरती हुई
मुस्कुराएगी, खिलखिलाएगी, गुनगुनाएगी

नाचेगी. गायेगी... सब कुछ भुला
फिर से जीवन को संवारने के लिए तैयार हो जायेगी।

क्योंकि तू स्री है...
तू अदभुत है, तू अद्वितीय है, तू असीमित है।
तू सबल है तू कोमल है, तू सशतक्त है, तू ममतामई है,
क्योंकि तू स्त्री है...

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11 JUN AT 13:19

ना भेज मुझे दूर, थोड़ा तो संभाल माँ।
धन है पराया ये सबकी है चाल माँ।

हाथों में जिसके तूने हाथ दिया था,
तोड़ी है चूड़ी, पूछ मेरा हाल माँ।

दुनिया की ठंडी हवाएं डराती है,
बाँहों का फिर से ओढ़ा दे तू शाल माँ।

टूटे दिलों में अंधेरे बहुत हैं,
लोरी सुना, खोल कुछ उजाल माँ।

किस्मत की इस दौड़ में थक गई हूँ,
राहों में मिलते हैं केवल भूचाल माँ।

जहाँ भी तेरा दिखता हैं साया,
थम जाते हैं ‘धानी’ के सारे सवाल माँ।

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9 JUN AT 10:59

" ऑपरेशन सिंदूर " , देश का मान सम्मान

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जिन घरों में अगर घूंघट पर्दा पाखंड आज भी है तो,
उन घरों में या तो मुगल दुष्ट चरित्र के लोग रहते हैं,
या फिर किसी और घर से आयी हुई उस बेटी को
अपने घर की बहू रुप में बेटी भाव से नहीं देखते हैं,
अपने घरकी बेटीके जैसा समभाव सम्मान नहीं देते हैं.

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झूठ कहते हैं लोग
बोझ होतीं हैं बेटियाँ,
सबसे भारी बोझ होता है
पिता के कंधे पर बच्चे की अर्थी का बोझ।
इतना कि कदम आगे नहीं बढ़ पाते हैं...
जिस बच्चे को उंगली पकड़ कर चलना सिखाया
उसी बच्चे की चिता को मुखाग्नि देते वक्त
हाथ जड़ हो जाते हैं...

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6 JUN AT 15:33

♥️♥️ बेटी ♥️♥️

खुशियों की पहचान है बेटी,बोझ नहीं..अरमान है बेटी
मांँ बाप के दिल का टुकड़ा, संस्कारों की खान है बेटी

हर मुश्किल से लड़ जाती है, दुर्गा का अवतार है बेटी
उसके बिन हर आंँगन सूना,नहीं कोई मेहमान है बेटी

बिना कहे हर बात को समझे.ऐसी ज्ञानवान है बेटी
पिता का अभिमान वो होती,उनका स्वाभिमान है बेटी

पूरी कविता कैप्शन में पढ़ें -------🙏🙏😊

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