Shazia Nizam  
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Joined 22 April 2019


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Joined 22 April 2019
6 HOURS AGO

बहुत शुक्रिया दीदी

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6 HOURS AGO

प्राचीन इतिहास में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही सीमा को कुछ एतिहासिक जगहों पर जाने का अवसर मिला, उसके साथ विश्वविद्यालय के सहपाठी थे।
उनकी बस एक किले के पास रुकी, जैसे-जैसे वो लोग अंदर की तरफ़ जाने लगे।उन्हें पाजेब की छम-छम की आवाज़ सुनायी देती ,उन्हें लगा ये भ्रम है। सीमा अपनी सखी प्राची के साथ मिलकर कुछ तस्वीर लेने लगी।जैसे ही वो तस्वीर लेने लगती उसे कोई लड़की पास से गुज़रती हुई दिखाई देती। उसके लम्बे-लम्बे बाल थे वो बहुत सुन्दर थी।जब वो चलती तो छम-छम पाजेब बजता।
सीमा जब डरने लगी तो प्राची ने उसे समझाया कि ये सब फिल्मों में होता है रियल में कोई भूत-वूत नहीं होता।प्राची उस असहज सी लड़की के साथ कुछ तस्वीर भी लिए। वो जल्दी ही लौट गए।
कुछ दिन बाद जब फोटो आयी तो सभी दोस्त बहुत चाव से तस्वीर देख रहे थे।मगर सीमा ने गौर किया कि किसी भी तस्वीर में वो लड़की नहीं थी। उसने प्राची को दिखाया तो दोनों हैरान हो गयी।वो कोई लड़की नहीं थी वो भूत का साया थी।

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12 HOURS AGO

झूठ के कई साथी हैं
सच अकेला है।

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12 HOURS AGO

कि अंगूर खट्टे हैं।

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12 HOURS AGO

अब दिल नहीं धड़कता किसीके नाम से
ज़िन्दगी कट रही है बड़े आराम से,

ख़त्म हुआ रूठने-मनाने का सिलसिला
अब लोग मिलने लगे बस कम ही काम से,

रिश्ते निभाते हैं कुछ लोग अब ऐसे
वक़्त पड़ जाये तो हो जाये गुमनाम से,

भरोसे की क़ीमत बची नही है कोई
ये होते हैं दर्मिया बिल्कुल बेदाम से,

वो पुरुष जो नारी की इज़्ज़त नहीं करते
बनते हैं राजा होते हैं गुलाम से,

होते थे रिश्ते जो रूह से रूह मिलते थे
अब तो सारे रिश्ते लगते हैं बदनाम से।

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12 HOURS AGO

ठहर जाओ
तुम वक़्त तो नहीं
जो ठहर न सको,
ज़रा रुको
शाम होने को है
कुछ पल साथ रहो
मेरे संग चाय की
एक प्याली हो जाये।

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13 HOURS AGO

साथ मिलकर काम करेंगे
हर मुश्क़िल आसान करेंगे
आज ज़रा मेहनत हो जाये
तब ही कल आराम करेंगे।

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13 HOURS AGO

कुछ सुनकर चुप हो पाना



सब्र और शुक्र से चलती है।

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15 HOURS AGO

आज सालो बाद सिया अपने पुराने घर आयी जहाँ उसका बचपन बीता था।कमरे की खिड़की से पास वाली गली पर नज़र पड़ी तो उसे पुरानी बातें याद आने लगी। ये गली मात्र गली न थी इस गली से उसकी यादें जुड़ी थी। ये उसकी कल्पनाओं की गली थी।
सखियो के साथ मिलकर घूमना,खेलना और गुड़िया की शादी सब इसी गली मे पीपल के पेड़ की छाँव में होता था। जिस गली में बच्चों की शोर सुनाई देती थी।आज वो गली सूनी पड़ी थी । ऐसा नहीं की अब बच्चे नहीं मगर अब बच्चे बाहर खेलने नहीं आते अब वो मोबाईल से अपना वक़्त बिताते थे। सिया सोचती रही काश बचपन फ़िर लौट आता तो ये कल्पनाओं की गली फ़िर से चहल-पहल हो जाती।

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4 MAY AT 21:31

बिना बताये किसीको यूँ सताया नहीं करते
ऐसे ही किसी बात में आज़माया नहीं करते,

जो बात मन में ठहरी है अब उसको बोल दो
बात बिन बात के यू बात बनाया नहीं करते,

विश्वास की डोर में अब बाँध लो मेरा रिश्ता
दिल में जो रहता है उसको पराया नहीं करते,

हवाएं हो जाये चाहे जितने खिलाफ़ "जिया"
दीये उम्मीद के लेकिन बुझाया नहीं करते।

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