बेटियां!!
मै तुम्हारी आंगन की चहाचहती एक पंछी हूं
जिसे तुम अपनी बंद पिंजड़े में कैद कर रखे हो
मै भी उन सब की तरह खुले आसमां में उड़ना चाहती हूं
तुम पहले अपनी बंद पिंजड़े से निकालो तो सही।।
मेरी भी अपनी ख्वाहिशें है, जिंदगी में मै उसे खुद पूरी करनी चाहती हूं
तुम उस पंछी से भी सीख सकते हो, जो अपनी बच्चों को अपनी बंद पिंजड़े से निकाल कर खुले आसमां में उड़ने कहती है
तुम पहले अपनी बंद पिंजड़े से निकालो तो सही।।
मुझे खुद पर आत्मनिर्भर होने तो दो,
मै भी उन सब की तरह बन के दिखाऊंगी
जिसे तुम खुले आसमां में उड़ने कहते हो
तुम पहले अपनी बंद पिंजड़े से निकालो तो सही।।
प्यार और सामान मै भी, उस पंछी की तरह दिलाऊंगी
जिसे तुम खुले आसमां में उड़ने कहते हो
तुम पहले अपनी बंद पिंजड़े से निकालो तो सही..।।
-Nitish choudhary
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चिड़ियों की झुंड सी चहचहाती है बेटियां..
पायल की रुनझुन सी गुनगुनाती है बेटियां..
घर की तुलसी बन आंगन को मेहकाती है बेटियां..
क्यू देखते है लोग इन्हें दोहरी निगाहों से??
किसी भी मकान को घर बनाती है बेटियां.....-
।।बेटियां।।
खानदान की रौनक हूं मैं,
खानदान की इज्जत
लेकिन जीवन के हर पल में होती हूं मैं बेइज्जत।
क्यूं मुखड़ा कुम्हला जाता है,
क्यूं मातम सा छा जाता है,
जब पैदा होती हूं मैं ,
क्यूं मातम सा छा जाता है ।।
अब तो पुत्र भी बदल गया
बदल गई उसकी परिभाषा
अब तो लड़की कुल की दीपक अब है ,
माता की आशा ।
अब तो बोझ नहीं है वो,
वो भी हाथ बांट सकती है ।
दहेज लोभी मानव को गहरी चपत लगा सकती है ।
क्यों मन भरता नहीं मां बापू का लक्ष्मी घर में आई है।
शिशु हत्या उसको ना दो वो तुम्हें जगाने आई हैं।।।।-
//बेटियां//
सभी को मालूम है माता लक्ष्मी का रूप हैं बेटियां
फिर भी न जाने क्यों है लोगो को इनसे परेशानियां-
फूलों सी खिल-खिलाती हैं बेटियाँ
पंछी सी चहचहाती है बेटियाँ
नदियों सी शीतल निर्मल हैं बेटियाँ
खुशी की लहरों सी आँगन में
लहराती किलकारिया है बेटियाँ
घर की रोशनी सी हैं बेटियाँ
सबका मान सम्मान हैं बेटियाँ
तितली सी घर की सुंदरता हैं बेटियाँ
किसी से कम नहीं होती बेटियाँ
कुछ भी करने का जज्बा और
मादा रखती हैं आज की बेटियाँ
पिता की आन बान शान है बेटियाँ
आज पढेंगी तो कल पढाऐंगी बेटियाँ
जीवन का मध्य और अर्थ है बेटियाँ
घर और समाज बसाती हैं बेटियाँ....-
बेटी बोझ नहीं है
मुझे गर्व है कि मैं इस पीढ़ी से जुड़ी हूं
जहां आने वाले समय में लोग लड़कियों को बोझ नहीं समझेंगे
ना ही उनके होने पर दुख होगा ।
जहां आज के पीढ़ी के लोग लड़कों की ख्वाइश रखते है
हमारी पीढ़ी पहली पीढ़ी होगी जहां लोग लड़कियों की भी ख्वाइस रखेंगे।
क्योंकि हमारे जमाने में दहेज बस नाम का रह जायेगा
जहां आज के 99% लोग दहेज लेते है
हमारी पीढ़ी में 10% ही ऐसे लोग बच जाएंगे जो दहेज लेंगे।
और ये सारे बकवास चोचले जो शादी के बाद तक चलते रहते है
जिसे हम आज की पीढ़ी में रिवाज कहते है
जैसे शादी के बाद भी उसके ससुराल त्योहारों में मिठाईयां, सारे परिवार के लिए कपड़े चीज़े
जो नियम के साथ अनुकरण किए जाते है
वो सब खत्म हो जाएगा।
बेटी आए तो कपड़े देना ,उसके घर वालो के लिए भी कपड़े देना ये सब हमारी पीढ़ी खत्म कर देगी।
ऐसा नहीं है की हम अपनी सभ्यता भूल जाएंगे
पर जो गरीब परिवार लड़कियों को बोझ समझते हैं सिर्फ इन सब रिवाजों से
उन्हें भी मुक्ति मिल जाएगी।-
बेटियां तो कर्मों का मीठा फल होती है ||
लड़कों से ज्यादा बेटियां सफल होती है ||
वह आती खुशियां लेकर
और दिलों को जीत के जाती है ||
सुंदर मुखड़ा है उसका वो
तितली जैसे बलखाती है ||
सावन में पतझड़ और
खेतों से ज्यादा लहराती है ||
वह बेटी ही तो है जो आती एक घर
में और दो घर को स्वर्ग बनाती है ||
🅟🅡🅥🅝
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बेटी होकर भी सहारा मात- पिता का बन सकूँ, ऐसा कर दे माँ!
सद्बुद्धी, उच्च शिक्षा, अच्छी आय-आजीविका का वर दे माँ!
योग्य ‘वर’ मिल जाए तो, सुखमय जीवन सुनिश्चित हो!
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किस्मत वाले होते है वो जिनके घर आती है बेटियां
फिर भी जन्म से पहले मार दी जाती है बेटियां
कहते है घर की लक्ष्मी होती है बेटियां
फिर भी जन्म के बाद फेक दी जाती है बेटियां
बेटों से ज्यादा मां बाप को प्यार करती है बेटियां
फिर भी पिता के कंधो पर बोझ समझी जाती है बेटियां
जिस घर में होती है उसे रोशन करती है बेटियां
फिर भी पराया धन समझी जाती है बेटियां
अपने घर का मान सम्मान होती है बेटियां
फिर भी सरेआम बेइज्जत होती है बेटियां
अपने घर बड़े लाड़ से पाली जाती है बेटियां
फिर भी दहेज़ के लिए प्रताड़ित की जाती है बेटियां
_Pihu
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मेरे मन में उठते कुछ सवाल जिनका जवाब मुझे कभी नहीं मिलता।
{ अनुशीर्षक में पढ़े 🙏🙏🙏 }-