ये क्या लुकाछिपी खेल रहे हो🙈
क्यूँ नहीं ठीक से बरस जाते हो
आने का आगाज़ तो बहुत करते हो⚡
फिर डरते किससे हो?⛅
भीषण गर्जना के साथ हुंकार भरते हो
रोज एक आस बँधाते हो☁
हमारी खुशियों को पंख लगाते हो💧
फिर फुहार छोड़कर चले जाते हो
देखो ! हमें यूँ न चिढ़ाओ😒
आओ तो आओ,ऐसे न सताओ😔
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ओ बदल कहा से आते हो और कहा जाना है
तुम्हे जो इतनी जल्दी में रहते हो
थोड़ा रुककर बाते कर लो इस समय की धारा को
बाहों में भर लो थोड़ा रुको सास तो लेलो
ओ बादल कहा से आते हो
ये राज है गहरा जरा हमे भी बताओ
क्यू सबको अपनी आवाज से डरते हो
क्या ऐसी बात हुई जो तुम चिलाते हो
बिजली के संग क्यू तुम लड़ते हो
तुम दोनो के खटपट से हम सब का बुरा हाल है होता
तुम्हे लड़ते हुए देखकर बुड्ढे संग बच्चे भी डर जाते है
मौसम के साथ जब तुम आते हो एक नई खुशी
देते हो सावन के आने की खुशखबरी तुम बतलाते हो
ओ बादल कहा से आते हो
तुम यूंही आते रहना मगर मौसम के साथ चलते रहना
बिन मौसम जब तुम आते हो हमे बहुत रुलाते हो
ओ बदल कहा से आते हो
आशा
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दर्द में डूबी सी क़ायनात भी हो,
बिजली बादल भी हो बरसात भी हो!!
अनजान किसी मोड़ पर अचानक ही,
आप हों हम हों मुलाक़ात भी हो !!
आप के साथ की ख़्वाहिश है,स्वतंत्र हमे,
आप हों साथ तो फुर्सत भरी रात भी हो!!
सिद्धार्थ मिश्र-
गरज रहे वो बादल तेरी यादों में
नही बरसते है तेरे ख्वाबों में
मेरा हर ख्वाब हो तूम मेरे हँसी के पल हो तुम
बारिश चाहे सड़को में बरसे
भीग जाऊ पूरा तेरे इश्क़ में
बिजली गिरे समंदर की लहरों में
मैं गिरू तेरे हसीन सपनों में
मिल जाए तेरी मोहब्बत मुझे
साथ लेकर चलेंगे अपने संग-
पाता है बिजली क्यों कड़क ती है,,!!
क्यों शंकर जी के पास टोच कहा होती है,,!!
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क्यूं ये रात मे काले बादल
इतनी बिजली कड़का रहे है
मुझे इसका चमकना तो पसंद है
पर इसकी अवाज पता नही
इस बार क्या कहना चाहती है।-
कागज़ पर कलम तब लिखेगी शायरी
जब दिल पर दर्द की कलम चलेगी
बादल बरसाएंगे पानी जब
बिजली आसमान का दिल चीर जाएगी-
आज बिजली जरा जोर से कड़की है ,
लगता है शायद अपने बादल से रुठी हैं ।
- कबीर-
बादलों का गरजना भी तब तक भाता है, जब तक डराये ना,
बारिश का मज़ा भी तभी तक आता है, जब तक डुबाये ना।
"अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप,
अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप"
Credits: कबीरदास जी।
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आ लिपटे गले से वो आसमानी बिजलियों के डर से
दुआ ऊपरवाले से ये घटाएं दो दिन तो कायम रखना-