Abhay Pratap Singh   (अभय प्रताप सिंह "बागी")
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शब्दों की तोप हूँ
कलम की नोक हूँ
Joined 4 March 2019


शब्दों की तोप हूँ
कलम की नोक हूँ
Joined 4 March 2019
29 JAN 2020 AT 0:51

800 सालों की धमकी से किसको तुम डराते हो
तलवारों में शेष धार नहीं तभी जिव्हा चलाते हो
बप्पा रावल से जिनके प्राणों पर संकट आते थे
सहस्त्रों छल करके भी पद्मिनियों को न छू पाते थे
महाराणा प्रताप के स्वपन उनको रात जगाते थे
किस मुंह से वो स्वयं को शहंशाह कहलाते थे
वीर मराठों ने जिनकी गर्दन को था मोड़ दिया
दक्कन से अटक नदी तक ने था भगवा ओढ़ लिया
औरंगजेब धूर्त ने हिन्द फतह का ख्वाब जो पाला था
कोंढाणा असाध्य दुर्ग पर पड़ा तानाजी से पाला था
शंकाओं में मस्तिष्क तुम्हारा कि 800 साल राज किया
800 सालों में सहस्त्रों बार वीरों ने शंखनाद किया
मत ललकारो प्रताप,शिवाजी,सांगा की संतानों को
जाग गए तो तरस जाओगे तुम फिर कब्रस्तानों को
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17 DEC 2019 AT 23:02

पौष की ये जिस्म कँपाती रातें
जब भी चली आती हैं
रगों में जमे लहू को मेरे
तेरे आगोश की यादें आती है

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7 JUN 2019 AT 22:32

साहिल की सौंधी रेत सी तू

मेरा लहरों जैसा वेग प्रिये

अब होगा अपना मेल प्रिये

अब होगा जारी खेल प्रिये

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7 JUN 2019 AT 21:11

डूबे रहते थे कभी हम समंदर की गहराइयों में

आज नशीली आँखों ने आपकी ये मुकाम पाया है

"नौसिनिक"

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21 MAY 2019 AT 2:10

कहीं बारिशें हैं जोरों पर
कहीं बादल भी गनीमत हैं
कहीं फूल हैं रोज खिले
कहीं बंजर ही हकीकत है
कहीं ख्वाहिशें हैं जोरों पर
कहीं मिल रही नसीहत है
अपनी अपनी किस्मत है
अपनी अपनी किस्मत है

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21 MAY 2019 AT 2:05

आँखों में नमी सी लग रही है

आसमाँ तो आज भी है रोशन

पर गम में जमीं लग रही है

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21 MAY 2019 AT 2:01

Don't try to change the society

Be the change

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21 MAY 2019 AT 1:58

धुप भी अकेली सी

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21 MAY 2019 AT 1:56

आने वाले वक्त में इतना ख्याल रखना

हम जलवे बरकरार रखेंगे

तुम जलन बरकरार रखना

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12 MAY 2019 AT 14:09

पत्थर से सोना मैं हुआ था

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