तस्वीर मिल गई
(कैप्शन में पढ़ें)
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A father is an international bank during your childhood.
The money is used by you with stupidity.
The point of interest is really far away.
He doesn't even demand to take his money back.-
न कोई बापू, न चाचा, न इंकलाब का नारा
अंदर ही अंदर टूट रहा है, देखो देश हमारा-
"बापू तुझे सलाम "
आजादी के रखवाले
थे इन्सां बड़े निराले
अहिंसा के पुजारी तुझे सलाम
ऐ बापू तुझे सलाम ,ऐ बापू तुझे सलाम 🌼🌼
छोड़ के रेशम पहना खादी
चल पड़ा नंगे पाँव तू ,
हाथ में लाठी पीछे भारत
चल पड़ा जहाँ चला है तू
संघंर्षों के सफर में ,इंसाफ की डगर पे
सत्य का दिया है तुने पैगाम ....
ऐ बापू तुझे सलाम ,ऐ बापू तुझे सलाम 🌼🌼
भारत माँ के चरणों में तुने
अपना सब कुछ दिया है वार ,
तेरी प्रतिमा दिलों में बसी है
हम सबको है तुझसे प्यार ,
बिना हथियार उठाये, ना सर को झुकाये
अंग्रेजों का किया है काम तमाम ....
ऐ बापू तुझे सलाम ,ऐ बापू तुझे सलाम 🌼🌼..निशि
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बापू (पापा)मुझको माफ़ कर देना,अगर घर तेरा छोड़ जाऊँ।
जीवन से मेरे इंसाफ़ कर देना ,कल अगर मैं मर जाऊँ।
नदी में बहते पत्ते की तरह,अपना सब पीछे छोड़ आयीं।
मन की व्यथा को किससे कहूँ,जो इस हृदय में है समायीं,
मेरे कर्मों का हिसाब कर देना,अगर मैं भूल जाऊँ,
बापू मुझको माफ़ कर देना,अगर घर तेरा छोड़ जाऊँ।
मोती की माला में ख़ुद मैंने,सबकुछ पिरोया।
फिर ख़ुद ही इसे तोड़कर मैंने,अपना सब कुछ खोया।
बापू इसको तू जोड़ देना,अगर मैं ना जोड़ पाऊँ,
बापू मुझको माफ़ कर देना,अगर घर तेरा छोड़ जाऊँ।
राहें जों थीं अनजानी ,क्यूँ मैंने उसपे चलने की ठानी,
स्वजनो सेहाथ छुड़ाकर ,बस करी मैंने मनमानी।
बापू मुझको राह दिखाना,जो मैं राह भूल जाऊँ,
बापू मुझको माफ़ कर देना,अगर घर तेरा छोड़ जाऊँ।-
धीमें धीमें
समाते जा रहे हैं सारे बच्चे
किताबों में....
नब्बे पंचानबे
यानी आंकड़ों का बुखार..
एक से निकलकर
दूसरी-तीसरी-चौथी किताब तक
अनवरत चलता है यह युद्ध..
जिल्द तक चाट जाते हैं
जिसका कोई जिक्र नहीं...
और.. एक दिन
थक जायेंगे जब— पढ़ते पढ़ते
तो— मुंह उठाकर ताकेंगे
उस अहम पृष्ठ की ओर...
जिधर से आ रही है
चरखे की चर् चर् और लाठी की ठक् ठक्..
तब—
सदी की जर्जर आवाज कहेगी
आओ.. मेरे बच्चों !
पकड़ो मेरी कनिष्ठा
चलो !
सत्य का रास्ता उधर है...।
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मरे हुए गोडसे को दुबारा ज़िंदा करने के लिए,
गांधी को मारने की ये नाक़ाम कोशिश भर है।-
किसी ने ना ढंका उसके बेलिबास जिश्म को
हा उसका दुप्पटा कल सरेआम नीलाम जो हुआ !-
पहले वो बापू के कंधे पर बैठ जाया करती थी
और आज डोली मे बैठ बापू से दूर जा रही है,
जाने कैसा वो रिश्ता निभा रही हैं
जाने कहां से वो बापू से दूर जाने की हिम्मत ला रही है-