कौन जाने,
गौरी थी या लंकेश
फिर भी
बंदूक नहीं
कलम के साथ है देश।-
ख़तरे में है देश हमारा, मर रही देखो सेना है।
कलम छोड़ बन्दूक उठाओ, अब बदला हमको लेना है।
उनकी कायरता से डरकर हम कायर कहलायेंगे
अब तो हमें जवाब उनका बहादुरी से देना है।-
बेटियाँ कमजोर नहीं होतीं।
बंदूक से नहीं खेलती तो क्या
आग से खेलना उन्हें
बेटों से बेहतर आता है।-
मन के अंदर का शोर, कागज पर शेर हो गया
बंदूक नहीं कलम से ही, शेर भी पल में ढेर हो गया
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ये कम्बख़त दिल तो आज भी
गिल्ली-डंडा और
बैट-बॉल में अटका है।
सियासत ने हाथों में
बंदूक और गोले थमा रखे हैं।-
जो तुम्हें कन्धे पर बिठायेंगे
वो तुम्हारे कन्धे से बन्दूक चलायेंगे-
दोस्ती में तुम बंदूक, मैं गोली बन जाउंगी,,
प्यार का नाम ना लेना,,,
तुम बम तो बन जाओगे, मैं पिन नही बन पाउंगी,,!
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कैसे सोती होगी वो हर माँ
जिसे पता है की सीमा पर उसका बेटा खड़ा हैं 😥
कैसे कमाता होगा वो हर पिता
जिसका बेटा दुश्मन के सामने खड़ा हैं😔
केसे चहकती होगी वो हर बहन
जिसके भाई का इंतजार बंदूक की हर गोली कर रही हैं 😔
कैसे काम करता होगा वो हर भाई
जो उसके आने का इंतजार कर रहा हो😔
कैसे जीती होगी वो नारी
जिसका सिंदूर कभी भी मिट सकता हे😔
कैसे रहते होंगे वो हर दोस्त
_जिनका यार कभी भी तिरंगे में लिपटा आ सकता हैं.......😥_-