मुझे असर नहीं होता अब किसी भी बात से
जिंदगी ने मुझे दिया ही हैं, "दर्द".... सौगात में-
यार ! इंसान कब ख़ुश रहता है पता है ?
जब वो ये सोच लेता है की -
' चार लोग उसके बारे में क्या सोचेंगे '
उससे उसको घंटा फर्क नहीं पड़ता !-
पीया करते था जो जाम हर रोज तेरे दिए अश्कों का
अब उनका नशा भी नही चढ़ता
उतर गया तेरा सारा नशा
अब तेरे आने न आने का कोई फर्क नही पड़ता
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मेरे जिस्म से पूछो तो,
उसे फर्क नहीं पड़ता -तेरे होने ना होने से..
यह तो कमबख्त दिल है,
जो डरता है -तुझे हर बार खोने से...-
एक 'वक्त' था जब 'फरक' पड़ता था मतलब कि बहुत ही ज्यादा 'फरक' पड़ता था लेकिन अब तो 'आलम' यूँ है 'अभि' कि 'मसला' ये 'एकदम' से 'आम' हो गया है...
एक दौर था मेरी जिंदगी का जब बहुत तकलीफ़ देते थे जाने वाले लोग लेकिन अब नहीं वो क्या है न एक नही कई मर्तबा 'इश्क हमारा नीलाम सरेआम हो गया है...-
अगर आप किसी को प्यार करतें हैं और वो आपको छोड़ कर जा चुका है तो जाने दो उसे क्यों रोकना या उसके लिए क्यों रोना...
क्योंकि अगर वो वापस भी आ जाए तो उसी इंसान से पहले जैसा प्यार दोबारा नहीं होगा...-
मेरे इश्क़ की आरजू नही जुस्तजू भी है तुझे
आज भी धड़कता हूँ तेरे सीने मे कभी सुन मुझे
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उसे कुछ फर्क नहीं पड़ता, किसी भी बात से नहीं पड़ता,
ऊपर वाले के नाम से उसकी सुबह होती हैं, वो किसी से नहीं डरता।
एक भूखा पेट है उसका, जिसे खाने को दो रोटी चाहिए,
और किसी बात के लिए वो चिंता नहीं करता।
एक-एक करतब दिखता है लोगों के बीच,
हाँ बातें उन्हीं सर्कस वालों की कर रहा मेहरबानों,
जो जान की बाज़ी लगाने से भी कभी नहीं डरता।।
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सुनों
अगर हम दोनों के बीच की दूरियां से
कोई फ़र्क ना पड़े जाना
तो समझ लेना काफ़ी नजदीक है हम-