कभी-कभी डर लगता है
डर लगता है
जब मुझे तुम्हारी जरूरत होती है
और तुम मेरे साथ नहीं होती
तुमसे कुछ कहना होता है
तुमको कुछ बताना
कुछ सुनना होता है
कुछ सुनाना होता है
पर जो तुम तक पहुँचे
मेरी वो आवाज नही होती
डर लगता है
जब तुम मेरे साथ नही होती-
( Pen Paper Shayari )
रूहानी तराने story पे लगा के,
अपनी मोहब्बत का इजहार करती है।
पहले वो मुझसे किया करती थी,
अब रकीब से प्यार करती है।-
थी अभी ये मेरे सफर की शुरुआत
मैं खुशी खुशी आगे बढ़ता रहा
शाम ढली ही थी चाय का समय था
कप हाथ मे लिये लोगो से बातें करता रहा
बातोँ बातों में खत्म भी हो गयी चाय
देखा रात हुई अंधेरा बढता रहा
मैं तन्हाई पसंद इंसान हूँ
खुशी से रात का इंतेज़ार करता रहा
देख ली मैंने एक पुरानी फ़ोटो न जाने क्यों
और मैं यूँ ही तेरे ख्यालों में बहता रहा
तू साथ होती तो कितना अच्छा होता
सोच सोच मैं अपनी किस्मत कोसता रहा
रात गहरी होती चली गयी
आसमां में चाँद चढ़ता रहा
तेरी यादों को अश्कों में समेटकर
मैं आहिस्ता आहिस्ता बढ़ता रहा
पन्नो पर गिरी जब एक बूँद आंखों से
फूटा ये गुबार और
पन्नो पर जज्बात बिखरता रहा
सवेरे को पता नही लगने दिया मैन कुछ भी
पर पूरा दिन उन्ही अल्फाज़ो को पढ़ता रहा-
अरे जमाना है अब जिस्मानी मोहब्बत का
रूहानी इश्क़ की कदर भला कौन करता है
हुस्न देखकर करते हैं लोग मोहब्बत आज कल
आंखों, बालों, और सादगी से प्यार अब कौन करता है
I like u बोल के करते है शुरू ये कहानी अपनी
सालों मोहब्बत के गहरे होने का इंतेज़ार अब कौन करता है
मिलते ही हो जाते हैं numbers exchange इनके
शर्माने, हिचकिचाने और छुप छुप निहारने में भला टाइम बर्बाद अब कौन करता है
I love u कहकर जताते हैं ये मोहब्बत अपनी
इश्क़ महसूस कराने में विश्वास अब कौन रखता है
मोहब्बत माप ली जाती है चॉक्लेट के दामो से
अब शायरी और चित्रकारी में अपना टाइम बर्बाद कौन करता है
होंठ चुम के करते है लोग मोहब्बत आज कल
माथा चुम के इबादत भला अब कौन करता है
कुछ किस्तों में बांटते हैं ये प्यार दो चार को
किसी एक ही पे दिल कुर्बान अब कौन करता है
चार महीनों में ही हो जाती है खत्म मोहब्बत इनकी
सच कहूँ तो , आजकल मोहब्बत कौन करता है
तोड़ देते हैं ये रिश्ता ब्रेकअप का नाम देकर
किसी से उम्र भर साथ रहने का वादा अब कौन करता है
अगले ही हफ्ते मिल जाती है इन्हें इनकी दूसरी मोहब्बत
ऐसे ही चलता है ये सिलसिला और ऐसे ही जरूरतों का बाजार चलता है-
आज सब ठीक हो जाएगा
हर सुबह बड़ी उम्मीद से उठता हूँ
वक्त सहमा सहमा बीतता है
मैं कतरा कतरा बिखरता हूँ
ढूंढता हूँ रास्ते तुझे तक पहुंचने के
इस बीच मैं न जाने कितनों के आगे झुकता हूँ
हर शाम एक चक्कर लगा आता हूं तेरे घर का
मैं तेरे छत पर इंतजार कर रही,तेरी उन आंखों को ढूंढता हूं
टूट जाता हूं हर शाम और उस ढलते सूरज को देख
अपनी जिंदगी को सोचता हूं
दिल बैठ जाता है, दर्द सांस नहीं लेता
आंखों में अश्क लिए मैं पूरी रात बस तुझी को सोचता हूं
सो जाता हूं खुद को समेट कर
और 'आज सब ठीक हो जाएगा'
सुबह बस इसी उम्मीद से उठता हूं-
माना इश्क तुम बेहिसाब करती हो मुझसे
पर कभी मेरी ख्वाहिशों की हिफाजत कर
अपनी जिद को दबा सको तो पता चले
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले
-
कुछ पल मुझे अपनी बाहों में सुला लेना
आंख खुले तो उठा देना ना खुले तो दफना देना-
वो जो घंटो स्कूल में तुम्हे बस निहारा करता था
और कोचिंग के घंटे भर जिसका हाथ तेरे हाथ मे रहता था
वो जो रोज तुम्हें बाँहें खोल तुम्हें अपने सीने से लगाता था
अपनी हर छोटी छोटी बात तुम्हे बड़े चाव से बताता था
तुम ही सोचो जरा
बिना तुमसे मिले , बिना तुम्हे देखे और बिना तुम्हारी आवाज सुने
कैसे जी रहा होगा वो इंसान
और कॉल की तो बात ही छोड़ो
तूम मैसेज करने में दस-दस पन्द्रह-पन्द्रह दिन लगाओगी
तो तकलीफ तो होगी न यार
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शब्दों को सहेजना नही सीखा उसने
पर जज्बात लिखना जानती है
कुछ कह देता हूं गुस्से में अगर
पलट कर वो कुछ नही कहती
हाँ वो मुझे इतना मानती है-
सूट भले ही सादा पहनो
पर माथे पे छोटी बिंदी लगा लिया करो
बहुत पसंद है मुझे बालों की चोटी
तुम मेरे लिए बालों की चोटी बना लिया करो
लगाओ जो कभी अपने हाथों में मेहंदी
तो उसमें 'माही' कहीं छुपा दिया करो
हाँ होंगे तुम्हारे पास तरह तरह के झुमके मगर
मेरी पसंद के झुमके से ही खुद को सजा लिया करो
अब तुम्हारी आँखों की तारीफ में क्या लिखूं मैं
बस मुझे देखकर इन्हें एक बार झुका लिया करो
पसंद नही मुझे ये होठों पर लाली
यार तुम बस एक बार मुस्कुरा दिया करो
कीमती अंगूठियाँ तो नही दे सकता अभी तुम्हें
उस दस रुपये की अंगूठी से ही काम चला लिया करो
लाऊँ पायल तुम्हारे लिए अपनी पहली कमाई से
इस काबिल हो जाऊं ये दुआ किया करो-