आप अपने दुःखों का कारण स्वयं है
ना आपको कोई प्रसन्नता दे सकता
ना आपको कोई कष्ट,..दोनों पूर्ण रूप
से आप पर निर्भर है, आवश्यकता हैं
तो......बस सही "चयन" की....!!
🪷"राधे-राधे"🪷-
१. निर्भयता
२. आत्मसंतुष्टि
३. आत्मनिर्भरता
४. भीतर से समृद्ध
५. आंतरिक प्रसन्नता
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प्रसन्नता पहले से
निर्मित कोई चीज नहीं है,
ये आप ही के कर्मों से आती है !!-
# 06-02-2022 # गुड मार्निंग # काव्य कुसुम #
# ख़ुशी # प्रतिदिन प्रातःकाल 06 बजे #
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दूसरों के मनोभावों को जानकर ही जीवन में ख़ुश रहा जा सकता है।
दूसरों की ख़ुशी में ही ख़ुश दिखने वालों को ख़ुश कहा जा सकता है।
ख़ुशी कोई बाह्य आवरण नहीं अपितु अन्तर्मन की प्रसन्नता का नाद् है -
दूसरों की ख़ुशी के लिए जीवन में कुछ कष्ट भी सहा जा सकता है।
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"प्रसन्नता"
परमात्मा की दी हुई वो औषधि है..!
जो शरीर व मन को स्वस्थ्य रखती है..
इसका भली प्रकार उपयोग करें
तथा इसे व्यर्थ ना जाने दें.......!!
इसीलिए तो कहा गया है कि
सदैव प्रसन्न रहना भी ईश्वर की
सर्वोपरी "भक्ति" है......!!
🌷आपका दिन शुभ हो🙏🌷-
फिक्र छोड़ो, मस्त रहो !
दुःख उधार का है और आनंद स्वयं का है।
आनंदित होना चाहो तो अकेले भी हुआ जा सकता है..!
दुखी होने के लिए दूसरे की जरुरत होती है।
कोई धोखा दे गया या किसी ने गाली दे दी..!
कोई तुम्हारे मन के अनुकूल न चला -
सब दुःख दूसरे से जुड़े है और
आनंद का दूसरे से कोई सम्बन्ध नहीं है.!
आनंद स्वस्फूर्त है...
दुःख बाहर से आता है,आनंद भीतर से आता है...!!
🌷आपका दिन शुभ हो 🙏🌷-