आसमान की गहराइयों से
झाँकते हुए चँदा ने पास आकर
गुड़िया के पलने को लगा झूलाने...
रो रही थी जो कब से माँ के लिए
सुला गई जो पिता के कंधे पर...
उस मासूम सी प्यारी को
खेलती जो चँदा के संग
हँसती जो तारों के झुंड में
देख कर माँ को अपनी...
फिर ,
सहला कर सर पर लगा सुलाने
प्यारी को चँदा...-
चंचल चपल पावन, प्रेम गंगा सी वो
सरल सहज, चितवन मोरनी सी वो!
काव्य प्रवीण, निपुण छबिकार सी वो
मधुर सुलभ, रमणीय चांदनी सी वो!
नटखट शरारती, मोहन प्रिय सी वो
सांझ की लाली, मृदु संगीत सी वो!
श्याम बंसी की मनोहर धुन सी वो
कृष्ण प्यारी, प्रेम कन्हैया प्रीत सी वो!-
"प्यारी गुड़िया"
नन्ही सी प्यारी गुड़िया
छोटी सी प्यारी गुड़िया
छमक छमक जब चलती
दुमुखी दांतो खिशक हसती
नन्ही सी मेरी प्यारी गुड़िया
जान सारी अटकी उसमे
जरा सी अगर रो जाती है
जैसे जान सी निकल जाती है
मां बाप की लाडली गुड़िया
बड़ी चाहें कितनी भी हो जाय
ममता की ऐसा संगम और नहीं
जहां में और दूसरा ऐसा दृश्य नहीं
ईश्वर का ये अद्भुत रचना है
ऐसी ये दोनों की संरचना हैं
ममता का जो दृश्य दिखता है
सृष्टि का इसमें संतुलन दिखता है
-
माँ आप तो एक खुली किताब के जैसे हो ।।
आपको मैं जितनी पढ़ने कि कोशिश करती हूं ।।
उतना ही मेरा मन करता हैं तुझे पढ़ने को ।।
आप प्रेम स्नेह की सागर हो, ।।
मेैं उस सागर मे रहने वाली मीन ।।
Love you maa I really miss you maa-
दिल की सच्ची सकल से भोली है ,ये मेरी tanu थोड़ी अलबेली है 😛
रहता गुस्सा इसके नाक पर है , इसे भरोसा बस अपने आप पर है 🤒
ना जाने कौंन होगा जो इसके नखरे उठाएगा,😏
पर वो शख्स बड़ा खुश किश्मत होगा जो भी इसका प्यार पायेगा 😘-
दुनिया के नज़र में , मैं कुछ भी नही
तेरी नज़र में तो बहुत कुछ होना चाहिये था... !
और अब मेरा हाल तुम भी पूछती हो
तुम्हे तो इस बात का पता होना चहिये था... !
माना कि ये दुनिया मतलबी बहुत है
लेकिन तुझमे तो मेरे लिए प्यार होना चहिये था....!
और ऐसे कौन छोड़कर जाता है भला
निभाने वालो को तो फिक्र होना चहिये था......!
कुछ न कुछ कमियाँ मेरे में भी है , मैं जानता हूं
तो क्या अब मुझे बिना कमियों वाला इंसान होना चहिये था...!
मेरे दोस्त , मेरे हमदम ये ज़िन्दगी है
यहाँ कोई किसी के लिए मरता नही है...
बस निभाने वाले के दिल में चिराग होना चहिये था....!-
लिख दूं ग़ज़ल जो तो
तेरे नाम कि चर्चा सारे बाज़ार में होगी
आए जो हैसियत कि बात
मांग लूं हक अपनी नाराज़ तो न होगी
मेरी चाहत है सैफई तुझको है मालुम
तो इस चाहत का कारोबार तो न होगी
इत्तेफाक से तेरे न होने से है फ़ायदा
मेरे बाप कि जायदाद नीलाम तो न होगी
दरअसल बात ऐसी है आए हालात मुश्किल
मिल जाएगी निजात जो नाम तेरा न होगी
जब कभी भी चांद तारों कि बात आएगी
आसान होगा कहना जो तू मेरी चांद न होगी
लिख दूं ग़ज़ल जो तो
तेरे नाम कि चर्चा सारे बाज़ार में होगी
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)-
तेरी खिलखिलाहट,
शैतानी सी मुस्कान,
चुलबुली अदाएं,
नटखट सी चाल,
ओ प्यारी चुहिया,
तेरी हर यादें,
याद आयेंगी बहुत।।-
कि अंजान थे हम, मालूम नहीं था
खुदगर्ज इंसान थे हम, मालूम नहीं था
दिल लगाएं, ये कमी थी हमारी
पर मोहब्बत नहीं है तुझे, मालूम नहीं था
#प्यारी_गुड़िया (A)
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)-
कि अब इश्क-ए-यूपीएससी का जुनून है
और उनसे मोहब्बत भी भरपूर है
कि कर लिया है वादा हाथ थामने का
बस अभी वो ख़्वाब ही , केवल दूर है
कि अब लगा लेनी है लत उसकी
वो ही मंज़िल और मोहब्बत है मेरी
कि इश्क-ए-यूपीएससी का जुनून है
अब वही ख़ुदा और जन्नत है मेरी
कि उस ख़्वाब को , पूरी करनी है
दिल के हर जज़्बात को, पूरी करनी है
कि किया है वादा जो ख़ुद से
हर उस बात को , पूरी करनी है
#बेढँगा_कलमकार
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)-