कृष्ण दिवानी (अनुप्रिया)   (✍️अनुप्रिया मेहता💞)
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Joined 2 August 2019


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दिल में बैंचेनी उठ रहीं ,
मन को आराम नही कही ।
रूह को सुकून मिल जाये मेरे,
गर सीने से लगा लो तुम ।

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निंद चूरा कर, अक्सर पूछते हों।
तुम सोते क्यों नहीं रातो कों....।
हमनें भी मुस्कुरा कर कहा...!
गर इतनी फिकर हैं तुम्हे मेरी..!
तो तुम मेरे अपने होते क्यों नहीं।

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कान्हा सलामत रखे तुम दोनों को प्रिय💕।
एक तो तुम्हें दूजे तेरी मुस्कान को प्रिय💕।

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चट्टानों से भी टकराने का शौक रखते हैं हम।
इसलिए दिल को कठोर बनाया है मैंने.....।।

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खामोशी यु ही नहीं आती, चेहरे में।
कुछ दर्द ऐसे होते हैं, जो चेहरे की नूर चूरा लेते।

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बदल रही हैं, नजरें जमाने की मुझे इसका गम नहीं।
तुम मेरी जिंदगी हो, कही तुम अपनी नजरें मत बदलना।

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यु नराज से रहते हो हमसे...!
कोई तरकीब बताओ मनाने की.. ?
मैं जान भी गिरवी रख दुगी ..!
तु किमत बता मुस्कुराने की..?

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बेचेंनी इतनी है जहन में -
अगर दिखाने को आये तो,
तुफानो की कहराहट कम पड़ जाये।।
और खामोशी इतनी हैं मन में,
शांत समंदर की सरसराहट कम पड़ जाये।।

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ये जिंदगी तु इतना रुलाया ना कर।
हर घड़ी इतना सताया ना कर...।
अब और सही नहीं जाती तेरी खामोशी।
यू जिया नहीं जाता अब तेरे बिन...!

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** कृष्ण**
तेरे आने से मधुवन में बहार आई है, ।
ना जाने कब से तेरे इंतजार में हम बैठे है।
तेरे मुरली के धुन से हमारे कदम थिरकते हैं!
तेरे आँखों की मस्ती हृदय को हर्षित करती है।
तुम्हारी याद में राधे की आश्रु बहती है।
मोहिनी मुस्कान ने गोपियों का दिल चुराया है।
किशोरी राधे की सुदंरता को तु ही जानता है।
गोपियों की प्रित और बिरह को तु भी जानता है।
कृष्ण तेरे प्रेम में हम खो गये हैं।
"राधे कृष्णा "की प्रेम रास में हम जुड़ जाते हैं।
कृष्ण तेरे आने से उपवन की रौनक आई हैं।

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